नागौर

बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का प्रतीक है विजयादशमी पर्व

Nagaur. आचार्य भूधर जन्म-स्मृति दिवस तप-त्याग पूर्वक मनाया गया

नागौरOct 15, 2021 / 11:02 pm

Sharad Shukla

Acharya Bhudhar’s birth-remembrance day was celebrated with austerity and sacrifice

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में शुक्रवार को विजयादशमी एवं आचार्य भूधर जन्म-स्मृति दिवस तप – त्याग के साथ मनाया गया। इस दौरान हुए प्रवचन में बिंदुप्रभा ने कहा कि विजयादशमी पर्व बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का प्रतीक है। हर व्यक्ति जीवन में जय विजय प्राप्त करना चाहता है। कोई भी पराजय का मुंह देखना पसंद नहीं करता। लेकिन विजय उसी की होती है जो सन्मार्ग पर अग्रसर होता है। बाह्य शत्रुओं से ज्यादा दुष्कर काम, क्रोध, राग, द्वेष रूपी आभ्यंतर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना है। कर्म रूपी शत्रु पर विजय प्राप्त करने से ही जगत विजेता बन सकता है। रावण पर राम की विजय अन्याय पर न्याय की विजय है। अन्याय का एक न एक दिन अवश्य अंत होता ही है। आचार्य भूधर जन्म-स्मृति दिवस पर साध्वी ने कहा कि आचार्य भूधर का जन्म विक्रम संवत 1712 को नागौर में ही आसोज सुदी दशम को हुआ था। वे भी धर्म के क्षेत्र में वीर योद्धा की तरह कर्म शत्रुओं से क्षमा और मैत्री के बल पर मुकाबला करते रहे। वे कर्म और धर्म दोनों ही क्षेत्र में शूरवीर थे। 92 वर्ष की उम्र में विजयादशमी के दिन ही उनका संथारा सहित देवलोक गमन हुआ था। उनके शिष्य आचार्य रघुनाथ, आचार्य जयमल एवं कुशलचंद आदि भी जिनशासन की महती प्रभावना करने वाले बने। संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी किशोरचंद, पवन, अरिहंत पारख थे। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर हरकचंद ललवानी, संतोष चौरडिय़ा, तीजा देवी पींचा एवं संगीता चौरडिय़ा ने दिए। आयंबिल एवं निवि तप करने वाले साधकों के भोजन की व्यवस्था बोहरावाड़ी स्थित उदयचंद ललवानी के निवास स्थान पर रखी गयीं। दोपहर डेढ़ बजे से ढाई बजे तक श्रीपाल चरित्र का वांचन किया गया। इस मौके पर श्रेणिक कांकरिया, महावीर दुग्गड़, भागचंद लोढ़ा आदि मौजूद थे। ओली तप एवं पारणा के संपूर्ण लाभार्थी भंवरलाल थे।

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