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अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदार ने किया कुछ ऐसा कि भड़क गए ग्रामीण

locationनागौरPublished: Jul 23, 2018 07:43:00 pm

Submitted by:

Dharmendra gaur

राजस्थान के नागौर जिले के ऊंटवालिया गांव में स्वीकृत डेढ़ किमी, ठेकेदार ने बनाई 800 मीटर सड़क, वो भी हो गई क्षतिग्रस्त।

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अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदार ने किया कुछ ऐसा कि भड़क गए ग्रामीण

-ग्रामीणों ने की क्षतिग्रस्त सड़क के जांच की मांग
नागौर. पंचायत समिति नागौर के ऊंटवालिया ग्राम में Road निर्माण में अधिकारियों की लापरवाही से क्षतिग्रस्त हुई सड़क की जांच करवाने की मांग ग्रामीणों ने की है। सोमवार को ग्रामीण उगमसिंह, रूपाराम, मदनलाल मेघवाल,सुखाराम, भोमाराम, पदमाराम व कल्याणसिंह समेत अन्य ने सार्वजनिक निर्माण विभाग मंत्री युनूस खान को भेजे ज्ञापन में लिखा है कि राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सड़क फांटा से ग्राम आबादी में अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार से डेढ़ किमी स्वीकृत होने के बावजूद केवल 800 मीटर सड़क ही बनाई और सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग होने के कारण सड़क क्षतिग्रस्त हो गई।


शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
ग्रामीणों ने ज्ञापन में लिखा है कि गांव में स्कूल से जुडऩे वाली मुख्य सड़क के फांटे से ग्राम आबादी राजपूत व मेघवालों के घरों तक 1.5 किमी डामर सड़क स्वीकृत हुई लेकिन ठेकेदार ने 800 मीटर सड़क बनाई। सियाली डेयरी तक सड़क नहीं बनाने से ग्रामीणों में आक्रोश है। ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों का ध्यान दिलाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने पर ग्रामीणों ने 12 जुलाई 18 को जन सुनवाई में जिला कलक्टर को व 13 जुलाई 18 को जायल विधायक मंजु बाघमार को शिकायत दी। इसके बावजूद अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय ठेकेदार का भुगतान करने में लगे हैं, जबकि सड़क जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है।

सूचना नहीं देने पर 5 हजार का जुर्माना
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI) के तहत जानकारी उपलब्ध नहीं करवाने पर सूचना आयोग ने बांसवाड़ा सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता पर 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। जानकारी के अनुसार Nagaur के आरटीआई कार्यकर्ता आईदान फिड़ौदा ने बांसवाड़ा वृत के सार्वजनिक निर्माण विभाग अधिशासी अभियंता से दो बिन्दुओं की सूचना चाही थी। समय पर सूचना उपलब्ध नहीं करवाने पर आवेदक फिड़ौदा ने अपील की। प्रथम अपील अधिकारी के आदेश के बावजूद सूचना उपलब्ध नहीं करवाने पर प्रत्यर्थी ने दूसरी अपील सूचना आयोग में की।


संवेदनशील नहीं अधिकारी
आयोग की ओर से धारा 20(1) के तहत नोटिस के बावजूद सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने संबंधित अधिकारी को सूचना उपलब्ध कराने, प्रतिउत्तर फिड़ौदा को भिजवाने के निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद अधिकारी द्वारा कोताही बरतते पर आयुक्त शर्मा ने लिखा है कि अकर्मण्यता, उदासीनता एवं लापरवाही मानते हुए अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति संवेदनशील नहीं है। लगता है अधिकारी जानबूझकर सूचना देने से बच रहा है। आयोग ने बांसवाड़ा सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को दोषी मानते हुए 5हजार रुपए का जुर्माना किया है। यह राशि 21 दिन के अंदर आयोग को पंजीकृत डाक से भिजवाने व 21 दिन के भीतर फिड़ौदा को बिन्दुवार सटीक रूप से अधिप्रमाणित सूचनाएं रजिस्टर्ड डाक से निशुल्क उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं।

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