जिले में वायरस जनित लम्पी का कहर लगभग सभी जगहों पर गोवंशों पर टूटा है। पशुपालन विभाग के सूत्रों के अनुसार गांवों में ज्यादातर जगहों पर हालात बेहद खराब हो चुके हैं। वास्तविक रूप से पीडि़त पशुओं की संख्या पशुपालन विभाग की ओर से अधिकृत आंकड़ों से ज्यादा बताई जाती है। हालांकि इसकी फिलहाल पुष्टी नहीं हो सकी। पशुपालन विभाग की ओर से गत रविवार तक जारी आंकड़े में नागौर एवं कुचामन पशुपालन एरिया में सभी तहसीलों को मिलाकर अधिकृत आंकड़ों में 5346 पशुओं को पीडि़त बताया गया है। जानकारों की माने तो यह आंकड़े भी डराने वाले हैं, क्यों कि ग्रामीणों की माने तो अभी भी पशुपालन विभाग स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पूरी तरह से सक्रिय नहीं हुआ है। विभागीय कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ तो फिर हालात और ज्यादा बिगड़ सकते हैं। जिले के खुनखुना के शंकरलाल, टापरवाड़ा के भियाराम व डेह के रामजस से बातचीत हुई तो बताया कि गांवों में तो ध्यान दिया ही नहीं जा रहा है। यही वजह है कि यह बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में फैलती जा रही है, और पशुपालन विभाग के अधिकारी कागजों पर ही व्यवस्थाओं को बेहतर करने का दावा करने में लगे हुए हैं। इस संबंध में पशुपालन के संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
गांवों में सर्वे के साथ ही संक्रमित पशुओं के सेंपल जांच के दिए आदेश
पशुपालन विभाग के अनुसार बीमारी से ग्रसित मवेशी के शरीर पर पडने वाले गांठ जब तक कडे रहते हैं,तो जकडन व दर्द बना रहता है। पककर फूटने के बाद शरीर में घाव बन जाता है, जिसमें मक्खियाां आदि बैठती है तो कीडे तक पड जाते है। घाव व बुखार से पशु कमजोर हो जाते हैं, जिससे दुध उत्पादन भी प्रभावित होता है।इसके लिए जरूरी है कि संक्रमित पशुओं को अलग रखने के साथ ही स्वस्थ पशुओं का गोटपोक्स टीकाकरण करवाएं। बीमार पशुओं को बुखार एवं दर्द की दवा तथा लक्षण अनुसार उपचार करें। त्वचा में अन्य संक्रमण को रोकने के लिए उपचार गैर स्टैरीयडल एंटी इफ्लैमैटरी और एंटी बायोटिक दवाओं के साथ किया जा सकता है। पशुपालक संक्रमित घाव को एक प्रतिशत पौटेशियम परमेंगनेट अथवा फिटकरी के घोल से साफ कर एंटीसेप्टिक मलहम लगाकर संक्रमण को नियंत्रित कर सकते हैं।उन्होंने बताया कि यह रोग जूनोटिक डिजीज की श्रेणी में नहीं आता है। लिहाजा पशुपालक इससे अकारण भयभीत नहीं हो। बीमार गाय के गर्म दूध के सेवन से इंसानों में इसका कोई विपरीत असर अब तक सामने नहीं आया है। उन्होंने सोशल मीडीया पर चल रही अफवाहों से दूर रहने की सलाह दी है।