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VIDEO….वायरस लम्पी का गोवंशों पर टूट रहा कहर

locationनागौरPublished: Aug 04, 2022 10:10:52 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. जिले में वायरस जनित लम्पी का कहर लगभग सभी जगहों पर गोवंशों पर टूटा है

Virus Lumpy wreaking havoc on cows

Virus Lumpy wreaking havoc on cows

नागौर. जिले में वायरस जनित लम्पी बीमारी से पांच हजार से ज्यादा गोवंशों के पीडि़त होने आंकड़े सामने आने के बाद भी पशुपालन विभाग की नींद नहीं खुली है। स्थिति यह है कि गांव एवं शहर क्षेत्र में गोवंशों के उपचार की व्यवस्था नहीं हो पाने की स्थिति में ऐसे पशुओं के लिए सहायतार्थ न तो कोई नियंत्रण कक्ष बनाया गया, और न ही कोई ऐसा नंबर जारी किया गया। जिस पर कोई भी फोन कर पशुपालन विभाग को जानकारी दे सके या फिर सहायता मांग सके। यह स्थिति तब है जबकि जिला कलक्टर पीयूष समारिया की ओर से सोमवार को इस संबंध में बैठक कर पशुपालन विभाग को सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं, बल्कि नागौर क्षेत्र में ही कलक्टर की ओर से निरीक्षण के दौरान महावीर गोशाला में 72 एवं ताऊसर गोशाला में 180 गोवंश लम्पी से पीडि़त पाए गए।


जिले में वायरस जनित लम्पी का कहर लगभग सभी जगहों पर गोवंशों पर टूटा है। पशुपालन विभाग के सूत्रों के अनुसार गांवों में ज्यादातर जगहों पर हालात बेहद खराब हो चुके हैं। वास्तविक रूप से पीडि़त पशुओं की संख्या पशुपालन विभाग की ओर से अधिकृत आंकड़ों से ज्यादा बताई जाती है। हालांकि इसकी फिलहाल पुष्टी नहीं हो सकी। पशुपालन विभाग की ओर से गत रविवार तक जारी आंकड़े में नागौर एवं कुचामन पशुपालन एरिया में सभी तहसीलों को मिलाकर अधिकृत आंकड़ों में 5346 पशुओं को पीडि़त बताया गया है। जानकारों की माने तो यह आंकड़े भी डराने वाले हैं, क्यों कि ग्रामीणों की माने तो अभी भी पशुपालन विभाग स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पूरी तरह से सक्रिय नहीं हुआ है। विभागीय कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ तो फिर हालात और ज्यादा बिगड़ सकते हैं। जिले के खुनखुना के शंकरलाल, टापरवाड़ा के भियाराम व डेह के रामजस से बातचीत हुई तो बताया कि गांवों में तो ध्यान दिया ही नहीं जा रहा है। यही वजह है कि यह बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में फैलती जा रही है, और पशुपालन विभाग के अधिकारी कागजों पर ही व्यवस्थाओं को बेहतर करने का दावा करने में लगे हुए हैं। इस संबंध में पशुपालन के संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
गांवों में सर्वे के साथ ही संक्रमित पशुओं के सेंपल जांच के दिए आदेश

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जिला कलक्टर पीयूष समारिया की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट में लम्पी स्किन डिजीज को लेकर बैठक हुई। इसमें कलक्टर ने पशु पालन विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने के साथ कोताही नहीं बरते जाने की नसीहत दी। इस दौरान कलक्टर ने समारिया ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को बडे पशुओं का ग्रामवार सर्वे करवाने के निर्देश देते हुए कहा कि सरकार की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध औषधियों को संस्थाओं में उपलब्ध करवाकर संक्रमित पशुओं का उपचार करने के काम में तेजी लाई जाए। पशुपालन विभाग निदेशालय से आवश्यक ओषधियों के लिए बजट की मांग कर आपातकालीन मद से ओषधियां खरीदने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि जिला पशुरोग निदान प्रयोगशाला में संक्रमित पशुओं का सेम्पल लेकर जांच कराने के निर्देश देते हुए कहा कि जिला पशुधन आरोग्य चल इकाइयों को प्रभावित क्षेत्रों में शिविरों का आयोजन कर पशुओं का निशुल्क उपचार करने के अलावा व्यक्तिगत संपर्क से भी जागरूकता फैलाई जाने का काम किया जाना चाहिए। इस दौरान संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा व उपनिदेशक डॉ. गोविंदराम चौधरी आदि मौजूद थे। बैठक के पश्चात कलक्टर ने बहुउद्देशीय चिकित्सालय एवं कांजी हाउस की व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

बीमारी होने पर यह करें उपचार
पशुपालन विभाग के अनुसार बीमारी से ग्रसित मवेशी के शरीर पर पडने वाले गांठ जब तक कडे रहते हैं,तो जकडन व दर्द बना रहता है। पककर फूटने के बाद शरीर में घाव बन जाता है, जिसमें मक्खियाां आदि बैठती है तो कीडे तक पड जाते है। घाव व बुखार से पशु कमजोर हो जाते हैं, जिससे दुध उत्पादन भी प्रभावित होता है।इसके लिए जरूरी है कि संक्रमित पशुओं को अलग रखने के साथ ही स्वस्थ पशुओं का गोटपोक्स टीकाकरण करवाएं। बीमार पशुओं को बुखार एवं दर्द की दवा तथा लक्षण अनुसार उपचार करें। त्वचा में अन्य संक्रमण को रोकने के लिए उपचार गैर स्टैरीयडल एंटी इफ्लैमैटरी और एंटी बायोटिक दवाओं के साथ किया जा सकता है। पशुपालक संक्रमित घाव को एक प्रतिशत पौटेशियम परमेंगनेट अथवा फिटकरी के घोल से साफ कर एंटीसेप्टिक मलहम लगाकर संक्रमण को नियंत्रित कर सकते हैं।उन्होंने बताया कि यह रोग जूनोटिक डिजीज की श्रेणी में नहीं आता है। लिहाजा पशुपालक इससे अकारण भयभीत नहीं हो। बीमार गाय के गर्म दूध के सेवन से इंसानों में इसका कोई विपरीत असर अब तक सामने नहीं आया है। उन्होंने सोशल मीडीया पर चल रही अफवाहों से दूर रहने की सलाह दी है।
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