कुछ रुपयों में सालों साल ले सकते है पानी, यहां हर साल खर्च रहे लाखों
- नागौर में दो साल पहले बनी नर्सरी में पानी के प्रबंध तक नहीं, पौध के लिए टैंकरों से मंगवा रहे सालाना साढ़े तीन लाख का पानी, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री के प्रभार वाले जिले में वन विभाग के बुरे हाल

जीतेश रावल
नागौर. महज कुछ हजार रुपयों के खर्च में जो काम सालों साल तक कर सकते है उसके लिए प्रतिमाह तीस हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं। ऐसे में हर साल साढ़े तीन लाख रुपए विभाग की जेब से जा रहे है। मामला वन विभाग से जुड़ा हुआ है। वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री नागौर के प्रभारी मंत्री भी है, लेकिन इस राजस्व घाटे पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। दो साल पहले जिला मुख्यालय स्थित गोगेलाव मार्ग पर अस्थायी रूप से नर्सरी स्थापित की गई थी। इसमें पौध पनपाई जा रही है, लेकिन पानी के प्रबंध नहीं किए गए। संभवतया कुछ राशि खर्च कर एक नलकूप ही खुदवा दिया जाता तो सालों का प्रबंध हो जाता, लेकिन पौध पनपाने के लिए आज भी टैंकरों से ही पानी आ रहा है। मोटे तौर पर प्रतिमाह लगभग तीस हजार रुपए का पानी खरीदा जा रहा है। नर्सरी में सालाना करीब एक लाख पौधे पनपाए जा रहे हैं और गत वर्ष यहां इतने ही पौधे पनपाए थे, लेकिन नर्सरी में पौधों की सिंचाई और अन्य कार्यों के लिए पानी टैंकरों से ही लाया जा रहा है।
पानी की पूरी आपूर्ति टैंकरों पर निर्भर
बताया जा रहा है कि पौध पनपाने के लिए एक साथ सिंचाई करनी पड़ती है। इसके लिए अलग-अलग ब्लॉक बने हुए हैं, जिनमें बीजारोपण करते हैं। इसके बाद समय-समय पर सिंचाई की जाती है। इसके लिए हर तीन-चार दिन में या पौध की सिंचाई के लिहाज से टैंकर मंगवाते हैं। रेस्क्यू सेंटर में पलने वाले वन्यजीव या अन्य कार्यों के लिए भी पानी की जरूरत रहती है। इसके लिए नर्सरी में पानी की पूरी आपूर्ति टैंकरों पर ही निर्भर है।
मुफ्त के पानी में फूंक जाता है डीजल
नर्सरी के पास एक प्राकृतिक जलाशय (नाडी) भी है। इसमें बारिश का पानी भरा रहता है तब वनकर्मी अक्सर इस मुफ्त के पानी को नर्सरी के उपयोग में लेते हैं, लेकिन इसके लिए डीजल का पैसा खर्च करना पड़ता है। टैंकर नहीं मंगवाने की सूरत में वनकर्मी इस पानी को सिंचाई व अन्य जरूरतों के लिए काम में लेते हैं। हालांकि यहां पानी का मोल नहीं चुकाना पड़ता, लेकिन नाडी से नर्सरी के हौज तक पानी पहुंचाने के लिए जनरेटर लगाना पड़ता है। इसमें काफी डीजल फूंक जाता है। ऐसे में नाडी से मुफ्त का पानी उठाने में भी वनकर्मियों को एक तरह से पैसा ही खर्च करना पड़ता है।
इनको उम्मीद है जल्द होगा कनेक्शन
करीब दो वर्ष पहले नर्सरी स्थापित की गई थी, लेकिन पानी के प्रबंध नहीं किए गए। सालाना लाखों रुपए का खर्च होने के बावजूद व्यवस्था नहीं की जा रही। अधिकारियों की माने तो जल्द ही यहां नल कनेक्शन हो जाएगा। बताते हैं कि कुछ समय पहले कनेक्शन के लिए आवेदन कर चुके हैं तथा डिमांड राशि भी जमा करवाई है। चाहे जो हो पर नल कनेक्शन कब तक होगा फिलवक्त यह कहना मुश्किल है। लिहाजा पौध पनपाने के लिए टैंकरों से पानी लाना मजबूरी बन रहा है।
डिमांड भर रखा है...
नर्सरी में अभी टैंकरों से ही पानी ला रहे है। यहां कनेक्शन के लिए आवेदन कर रखा है तथा एक लाख 88 हजार रुपए का डिमांड भी जमा करवा दिया है। जल्द ही कनेक्शन मिलने की उम्मीद है।
- सुनीलकुमार गौड़, एसीएफ, वन विभाग, नागौर
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