नागौर

छत से टपकता है पानी, बरामदे में बैठते हैं बच्चे…पढ़ाई कैसे हो

चौसला. कस्बे के बीच स्थित बेरी वाले बालाजी तालाब के पास स्कूल की पक्की डगर न होने से मासूम बच्चों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

नागौरAug 20, 2019 / 11:54 am

Sandeep Pandey

problem

चौसला. कस्बे के बीच स्थित बेरी वाले बालाजी तालाब के पास स्कूल की पक्की डगर न होने से मासूम बच्चों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के दौरान हालात और बदतर होने पर कई बार तो रास्ता बंद हो जाता है। जिससे मासूमों को स्कूल आने-जाने में परेशानी होती है। स्कूल भवन की छत भी टपकती है। कस्बे में पूर्व दिशा के अंतिम छोर पर निचले स्थान पर स्थित इस प्राइमरी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के लिए भवन मय बरामदा है। जिसमें पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चे बैठते हैं। सबसे बड़ी समस्या स्कूल के रास्ते की है। क्योंकि कहीं से भी स्कूल तक आने-जाने का पक्का रास्ता नहीं है। ऐसे में स्कूली बच्चे शिक्षक उबड़-खाबड़ जंगली रास्ते से आने को मजबूर है। स्कूल के सामने मुख्यद्वार पर हो रहे गड्ढों में बारिश होने पर पानी भरने से यह नाला-खाई का रूप ले लेता है। जो छोटे मासूमों के लिए खतरा बने रहते हैं। भारी बारिश के दौरान कई बार स्कूल के चारों और पानी भरने की समस्या भी है। कई बार रास्ता बंद हो जाने से शिक्षक तो अपनी ड्यूटी पूरी करने आ जाते है, लेकिन बच्चे स्कूल नहीं आ पाते।
छत से टपक रहा पानी

विद्यालय के पास रहने वाले पंचायत समिति सदस्य सुवाराम खेरवा ने बताया कि वर्षा के दौरान समूचे स्कूल भवन की छत टपकती है। जिससे बच्चे बैठ नहीं पाते शिक्षको को किताबें व अन्य सामान दरियों से ढककर रखना पड़ता है। सामने और एक साइड से स्कूल के बाहर जगह खुली है। दीवारों में सीलन आई हुई है। यह सब तकलीफ बच्चे कई सालों से झेल रहे हैं।
बेपरवाह शिक्षक
अधिकारियों की बेपरवाही के बारे में तो सुनते रहते है, लेकिन यहां स्थानीय पंचायत प्रशासन और विद्यालय के शिक्षक भी बेपरवाह है। जिसके चलते प्राथमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय की दुर्दशा हो रही है। कुछ जिम्मेदारी तो शिक्षकों की भी होती है। तीन कमरों के निर्माण का सामान लाने के लिए लोहे का मुख्यद्वार हटाए करीब एक साल हो गया है, लेकिन लगवाएं कोन, पौधरोपण लोहे जाली लगाकर किया जा सकता है, लेकिन जाली के पैसे खर्च करे कोन। प्राथमिक विद्यालय के सामने उगे कंटीले झाड़ कटवाएं जा सकते है, लेकिन इनसे शिकक्षों को कोई सरोकार नहीं है।
कोई भी नहीं देते ध्यान

पिछले दो साल से स्कूल की छत टपकने व दीवारों में दरारें आने के बारे में पंचायत, पंचायत समिति व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार अवगत कराया, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है।
सुवाराम खेरवा पंचायत समिति सदस्य नावां

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