गौरतलब है कि बुधवार को अतिरिक्त जिला कलक्टर के सामने नहरबंदी के बावजूद शहर में सुचारू जलापूर्ति के अधिकारियों के दावों की पोल खोल दी। शहरी जलप्रदाय अधिकारी पिछले कई दिनों से दावा कर रहे हैं कि नहरबंदी के बावजूद शहर में कहीं भी पानी की कमी नहीं है, जबकि ब्रह्मपुरी क्षेत्र में पिछले एक महीने से पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के लोगों की ओर से बार-बार समस्या से अवगत करवाए जाने के बावजूद जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और वे आज-कल कर टालते रहे। बुधवार को महिलाओं के सब्र का बांध टूट गया और वे पहले कलक्ट्रेट व बाद में नगर परिषद पहुंच गई।
अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई
नहरी विभाग की ओर से नहर के रख-रखाव को लेकर 25 मार्च से की गई नहरबंदी गुरुवार को समाप्त हो गयी। ब्रह्मपुरी से बड़ी संख्या में महिलाएं व पुुरुष अधिकारियों के टालमटोल के रवैये से परेशान होकर अतिरिक्त जिला कलक्टर के पास पहुंचे व अपनी पीड़ा बताई। वार्ड में पानी की समस्या के बारे में अधिकारियों को बताने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने ने एडीएम ने नगर परिषद आयुक्त को समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए। पार्षद हरिराम जाखड़ के साथ आयुक्त के पास पहुंची महिलाओं ने कहा कि हम थक हारकर यहां आई हैं। गर्मी के समय में कौन घर छोडऩा चाहता है, लेकिन क्या करें। पानी के बिना काम नहीं चलता। गर्मी के मौसम में पिछले कई दिनों से पार्षद हरिराम जाखड़ ने कहा कि अधिकारियों व कर्मचारियों को बताने के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है। पानी की समस्या का समाधान नहीं करने पर आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
नहरी विभाग की ओर से नहर के रख-रखाव को लेकर 25 मार्च से की गई नहरबंदी गुरुवार को समाप्त हो गयी। ब्रह्मपुरी से बड़ी संख्या में महिलाएं व पुुरुष अधिकारियों के टालमटोल के रवैये से परेशान होकर अतिरिक्त जिला कलक्टर के पास पहुंचे व अपनी पीड़ा बताई। वार्ड में पानी की समस्या के बारे में अधिकारियों को बताने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने ने एडीएम ने नगर परिषद आयुक्त को समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए। पार्षद हरिराम जाखड़ के साथ आयुक्त के पास पहुंची महिलाओं ने कहा कि हम थक हारकर यहां आई हैं। गर्मी के समय में कौन घर छोडऩा चाहता है, लेकिन क्या करें। पानी के बिना काम नहीं चलता। गर्मी के मौसम में पिछले कई दिनों से पार्षद हरिराम जाखड़ ने कहा कि अधिकारियों व कर्मचारियों को बताने के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है। पानी की समस्या का समाधान नहीं करने पर आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।