चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार राजकीय कार्यों से अस्पतालों के निरीक्षणों के अलावा प्रशासनिक बैठकें करने के साथ ही आमजन को जागरुक करने के कार्यक्रमों में सम्मिलित होना पड़ता है। इसके लिए उनको जिले भर के स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पतालों में जाना पड़ता है। अधिकारियों का कहना है कि जिले में विभिन्न मार्गों पर कुल चार टोल नाके पड़ते हैं। इनमें किसी भी टोलनाके से वह राजकीय कार्यों से गुजरते हैं तो फिर उनके समझाने के बाद भी टोलकर्मी नहीं मानने। इसी तरह जयपुर जाने की स्थिति में भी पांच टोल नाके पड़ते हैं। जयपुर जाने के लिए पांचों टोल नाके पर टोलककर्मी बिना शुल्क लिए रवाना नहीं होने देते। ऐसे में कई बार बहस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। राजकीय कार्यों के लिए सीएमएचओ, एडीशनल सीएमएचओ, डिप्टी सीएमएचओ, आरसीएचओ, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक, एपीडेमियोलाजिस्ट, जिला लेखा प्रबन्धक, जिला नोडल अधिकारी, एफसीएलओ सहित समस्त खण्ड मुख्य चिकित्साधिकारियों को राजकीय कार्यों के लिए जाने के दौरान जिला कलक्टर ने पिछले वर्ष ही टोल मुक्त कर दिया था। कलक्टर की ओर से जारी निर्देश में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि इनकी ओर से विभागीय पहचान पत्र दिखाए जाने की स्थिति में इनसे टोल नहीं लिया जाए। अब इसके बाद भी इनको परेशानी उठानी पड़ रही है।
सभी को देना पड़ेगा टोल
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार टोलकर्मियों की ओर से कहा जाता है कि भारत सरकार ने केवल प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति आदि को टोल टेक्स से मुक्त कर रखा है। इसके अलावा कोई भी यहां से जाएगा तो हम टोल वसूलेंगे। इसको लेकर कई परस्पर बहस की स्थिति उत्पन्न होने से राजकीय कार्यों के लिए विलम्ब भी हो जाता है।
इनका कहना है…
जिला कलक्टर ने चिकित्सा विभाग के सीएमएचओ व खण्ड मुख्य चिकित्साधिकारियों व जिला स्तरीय अन्य विभागीय अधिकारियों को राजकीय कार्यों के दौरान टोल टेक्स से मुक्त कर रखा है, लेकिन टोलकर्मी इसको लेकर अक्सर विवादित स्थिति बना देते हैं। टोलकर्मियों की की ओर से कहा जाता है कि टोल टेक्स से मुक्त के दायरे में भारत सरकार ने केवल राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को ही कर रखा है। शेष से तो टोल लिया जाएगा।
डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ, नागौर. Nagaur patrika