नेकी की दीवार किसी एक के लिए नहीं बनाई गई। इस दीवार पर किसी भी मजहब/जाति के लोगों द्वारा अपने पास जो ज्यादा सामान है वो यहां पर रख सकते हैं। इससे बहुत सारे जरूरतमंदों की मदद हो सकती है।
नागौरPublished: Dec 09, 2017 11:24:43 am
Dharmendra gaur
शाहरूख गौरी का जरूरतमंदों की मदद का जज्बा, गली-मोहल्ले ही नहीं दोस्तों से मांगकर लाया गरीबों के लिए, बहुतों को मिलेगा सुकून
नेकी की दीवार पर कपड़े टांगता शाहरूख गौरी
नागौर. बढ़ रही सर्दी में जिन्हें सुकून मिलना मयस्सर नहीं हो रहा था। शहर के कई गरीब अपने तन को ढंग से ढांप नहीं पा रहे थे। गरम कपड़े उनके लिए अधूरी ख्वाहिश के मानिंद थे, जो पूरे नहीं हो रहे थे बस आस जगा रहे थे। शुक्रवार की सुबह शहर में मौजूद नेकी की दीवार ने आज कई लोगों के चेहरे चमका दिए। एक शख्स उन लोगों के लिए मसीहा साबित हुआ जो वहां पहुंचा और गरम कपड़ों की ‘कतार’ लगा दी। मुफ्त में जरूरतमंदों के लिए इस काम ने इस दीवार को भी चहका दिया जो बनने के बाद अपने मायने से अलग ही बेबसी के साथ खड़ी थी।
सुबह तकरीबन दस बजे युवक शाहरूख गौरी अपने साथ एक कट्टा लिए कांकरिया स्कूल के पास खड़ा था। कुछ लोगों ने इसे देखा पर वो समझ नहीं पाए कि वो क्या करना चाहता है? कुछ देर में उसने कट्टे से सर्दी के गरम कपड़े निकालना शुरू कर नेकी की दीवार पर टांगना शुरू कर दिया। लोगों की नजर जब दीवार पर लिखे शब्दों पर गई तो माजरा समझ गए। नेकी की दीवार पर लिखा है ‘आपको चाहिए वो ले जाएं, आपके पास है तो यहां पर टांग जाएं’। इस बात के भी निकालने वाले अलग-अलग मायने निकालते रहते हैं, लेकिन हकीकत में नेकी टंग चुकी थी और लोग इसे लेने के अपने मकसद को पूरा करने वाले हैं। थोड़ी देर में लोग समझ गए कि गौरी लोगों की मदद करने यहां आया था। इस नेक काम में पास खड़े कुछ लोग आगे आए तथा कपडे टांगने में मदद करने लगे। वहां से निकल रहे जरूरतमंद लोगों को बुलाया व उन्हें गरम कपड़े दिए। उन्हें तो मानों मुराद मिल गई थी।
तीन बरस पहले हुआ था नामकरण
तीन बरस पूर्व जरूरतमंदों की मदद के लिए रामदेव पित्ती अस्पताल के पास स्थित कांकरिया स्कूल की एक दीवार को नेकी की दीवार नाम दिया गया। नेकी की दीवार नाम देने का एक ही उद्देश्य थ जो आपके पास ज्यादा हो वो रख जाओ वो किसी जरूरतमंद इंसान के काम आ सकती है। शुरुआती दौर में दीवार पर सामान कुछ दिनों तक ही रखा गया। उसके बाद लोग इसे भूल गए। यहां तक की दीवार पर लिखा नाम तक फीका पड़ गया।
मदद करने से बढ़कर क्या?
गौरी ने संवाददाता को बताया कि वह शहर के जाजालोई का रहने वाला है। कुछ दिन पूर्व यहां से निकाल रहा था तो नजर इस दीवार पर पड़ी। मदद करने का विचार मन में आया। नेकी की दीवार पर जरूरतमंदों की मदद करने के लिए पूरे मोहल्ले में घूमा और कपड़ों को इक_ा करना शुरू किया। दोस्तों को बोला तो उन्होने भी मदद की। किसी जरूरतमंद की मदद हो जाए, इससे बढ़कर मेरे लिए क्या बात होगी।