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संघ के बड़े कार्यक्रमों के लिए राजस्थान के छोटे से जिले नागौर का चयन क्यों किया जाता है, जानिए इसकी वजह..

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नागौरSep 25, 2018 / 04:47 am

rohit sharma

नागौर.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत पिछले ढाई साल में दूसरी बार नागौर प्रवास पर आए हैं। मार्च 2016 में भागवत करीब सात दिन नागौर में रूके थे, जब यहां संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा हुई थी और अब पांच दिन के प्रवास पर आए हैं, अब यहां जोधपुर प्रांत मंडल कार्यवाहों के अभ्यास वर्ग के वानप्रस्थी कार्यकर्ताओं एवं तीनों प्रांतों की कार्यकारिणी की बैठकें आयोजित हो रही हैं। छोटा-सा जिला होने के बावजूद संघ द्वारा बार-बार बड़े कार्यक्रमों के लिए नागौर का चयन हर किसी के जहन में यह सवाल पैदा करता है कि नागौर में ऐसा क्या है, जिसके कारण संघ अपने बड़े कार्यक्रमों के लिए नागौर का चयन करता है।
मुख्य वजह यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर
इस सवाल को लेकर पत्रिका ने जब संघ के पदाधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि संघ के पांच दिवसीय कार्यक्रम को नागौर में आयोजित करने के पीछे मुख्य वजह यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर है। प्रदेश स्तर का कार्यभार संभाल रहे संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता ने बताया कि पूरे राजस्थान में जामडोली (जयपुर) के केशव विद्यापीठ के बाद सबसे बड़ा भौगोलिक ढांचा नागौर में है। यहां सबसे ज्यादा सुविधाएं हैं, जिसमें स्नानाघर, शौचाालय व आवास सुविधा आदि शामिल हैं। यहां एक साथ 20 हजार स्वयंसेवकों की शाखा लगाई जा सकती है। इसके साथ अनुभवी कार्यकर्ताओं की टोली, सुसज्जित, सुव्यवस्थित एवं भौगोलिक संरचना भी इस कार्यक्रम के नागौर में आयोजित करने की वजह बना है। सुरक्षा के दृष्टि से भी नागौर का शारदा बाल निकेतन विद्यालय काफी महत्वपूर्ण है, शहर के बाहरी हिस्से में स्थित होने तथा चारों तरफ से बंद होने के कारण संघ पदाधिकारियों को यह स्थान उचित लगता है।
राजनीतिक दृष्टि से नागौर को चुनने की वजह
राजनीतिक दृष्टि से देखें तो ढाई साल पहले अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा और अब पांच दिवसीय कार्यक्रम के लिए नागौर को चुनने के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं। यह तो जग जाहिर है कि नागौर से निकली हवा पूरे प्रदेश को प्रभावित करती है। दूसरा जातीय ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाली ताकतें राजस्थान में अपना फोकस सबसे अधिक रख रही हैं। चाहे दलितों की बात करने वाले जिग्नेश मेवाणी हो या रावणा राजपूत व राजपूत समाज के गुस्से की वजह बनने वाला आनंदपाल का एनकाउंटर। इन सबके अलावा डांगावास हत्याकांड का असर अब भी लोगों के जहन में है।नागौर के डांगावास हत्याकांड को दलित नेताओं ने अजमेर के उपचुनाव में भी भुनाया था।
यह भी है एक कारण
वहीं अन्य कारणों की तलाश करें तो एक और कारण यह सामने आ रहा है कि 10 विधानसभा सीटों के इस जिले में चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों को ही दो-दो टिकट अल्पसंख्यकों को देनी ही पड़ती है। यूपी के चुनाव पर नजर डालें तो बीजेपी ने चौकान्ने वाले निर्णय लिए और फायदा भी हुआ। संघ राजस्थान में भी ऐसी संभावनाओं को तलाश रहा हैै, साथ ही वर्तमान परिस्थितियों का तोड़ भी निकालना चाह रहा है। जातियों के ध्रुवीकरण को रोकने के लिए संघ नागौर जिले सहित अन्य जगहों पर बीजेपी द्वारा अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली टिकटों में टांग अड़ा सकता है। ऐसा होने से जातीय ध्रुवीकरण रोका जा सकता है, ऐसा यूपी में हुआ भी था। इन तमाम कारणों के चलते संघ ने नागौर को चुना है।
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