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विधवाएं आज भी चुका रही हैं पति का लिया कर्ज

locationनागौरPublished: Dec 10, 2018 12:35:29 am

Submitted by:

Ravindra Mishra

Widows are still paying their husbands debt

Illegal mining of coal

अवैध खनन ने सैकड़ों जवान महिलाओं की उजाड़ी मांग

पुखराज तनाण

बड़ीखाटू. कस्बे में विशाल खनन क्षेत्र होने के कारण अवैध खनन काफी बढ़ रहा है। अवैध खनन के काम में लगे ठेकेदार मजदूरों का शोषण करने में भी पीछे नहीं है। हालत यह है कि जल्द से जल्द अत्यधिक खनन कर चांदी कूटने के चक्कर में युवा मजदूरों को दिन-रात खनन कार्य में जुटाकर उनकी जिन्दगी से खेला जा रहा है। बड़ी खाटू और खिंयाबास गांव में काफी बड़ी संख्या में विधवा महिलाएं है, जिनके पतियों ने अवैध खनन कार्य के दौरान सिलिकोसिस रोग से ग्रस्त होकर जवानी में ही काळ के शिकार हो गए। ये विधवा महिलाएं आज भी ठेकेदार से लिया कर्ज सिर पर गम की तगारी उठाकर चुकाने में लगी हैं।
बडीखाटू में सर्वाधिक विधवा महिलाएं और छोटे से गांव खिंयाबास में 24 महिलाएं विधवा मौजूद हैं, जिनके पतियों की मौत खनन कार्य के दौरान हुई। इस तरह के आंकड़े आस-पास के कई गांवों से भी सामने आए हैं।

आंखों में गम के आंसुओं के सिवाय कुछ नहीं

बड़ीकाटू खनन क्षेत्र में वर्षों से सिलावट, मेघवाल, बावरी, रेगर, भाट, नायक, लीलगर, जाट सहित अन्य समाजों के युवा श्रमिक मजदूरी करते आ रहे हैं। असमय काळ का ग्रास होने से इनकी विधवाएं पति के वियोग में दिन काट रही हैं। खनन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की मौत के बाद पत्नियों को शादी के एक -दो वर्ष बाद वापस मायके लौटना पड़ता था आज भी करीबन हर घर में एक -दो महिलाएं विधवा मिल जाएंगी, जिन्होंने पति के साथ बिल्कुल कम समय बिताया और युवा अवस्था में विधवा हो गईं। इतना ही नहीं ठेकेदार से पति द्वारा लिया गया कर्जा भी अवैध चुकाना पड़ रहा है। पत्रिका संवाददाता ने जब इन विधवा महिलाओं से चर्चा की तो उनकी आंखों में आंसू के सिवाय कुछ नहीं झलक रहा था। काफी विधवाएं अपने गम को भूल मजदूरी करके बच्चो का पालन पोषण में लगी हैं।

इसलिए शिक्षा से रह गए वंचित

करीब बीस साल पहले तक क्षेत्र शिक्षा में काफी पिछड़ा हुआ था। विधवा महिलाएं अपने पुत्रों को अच्छी शिक्षा दिलाने में असमर्थ थी, जिन महिलाओं अवैध खनन ने मांग उजाड़ी उनके एक भी पुत्र का सरकारी सेवा में चयन नहीं हुआ है। वर्तमान में कुछ सुधार हो रहा है और महिलााएं बच्चों को पढ़ाने लगी हैं।

ऐसे फैलती है सिलिकोसिस बीमारी

खनन के दौरान उडऩे वाले पत्थर के सूक्ष्म कण हवा में फैलने से श्वास के साथ व्यक्ति के शरीर में जाकर फेफड़ों में एकत्र हो जाते हैं। इससे टीबी , सिलिकोसिस सहित कई तरह की बीमारियां पनपने लगती है। यहीं रेत के कण आंखों में गिरने से आंख में जख्म हो जाते हैं। सिलिकोसिस से पीडि़त मरीज के कुछ समय बाद मौत हो जाती है.

मौतों के बाद भी नहीं सम्भले मजदूर

खान मजदूर सिलिकोसिस व टीबी बीमारी से बचाव के लिए डस्ट मास्क का उपयोग तक नहीं करते हैं। खान श्रमिकों के स्वास्थ्य को लेकर खान धारक व खनन विभाग के अधिकारी भी लापरवाह बने हुए है । जिले की खदानों में नियमों की पालना नहीं की जा रही है। अवैध खानों में पैसें के लालच में आकर श्रमिक मौत की मजदूरी कर रहे हैं।

न्यूमोकोनिओसिस बोर्ड के आंकड़े

2016 – 2017 में 912 श्रमिक प्रमाणित
2018 के अगस्त तक 336 प्रमाणित

1000 करीब को सिलिकोसिस प्रमाण पत्र दिया

80 के करीब अब तक मौत

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