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सुरों का दर्द समझ बिंजाराम के लिए ‘देवता’ बन गया देवराज

locationनागौरPublished: Sep 27, 2020 06:00:23 pm

Submitted by:

Rudresh Sharma

Nagaur Special News : चौखट पर आए लोक कलाकार (Folk Artist) को रहने के लिए सौंप दी एक बीघा जमीन, पास बैठाकर खिलाया खाना, दर्दभरी कहानी सुन पसीज गया दिल

Young man donat his to a folk artist

नागौर . लोक कलाकार को जमीन के कागजात सौंपता देवराज

नागौर . हमारे देश में लोक कलाकारों के हाल हमेशां से दयनीय ही रहे हैं, लेकिन ऐसे लोग कम ही होते हैं, जो उनके दर्द को समझ सके। कोरोनाकाल में नागौर जिले के एक युवा ने ऐसी नजीर पेश की है, जो न सिर्फ कला प्रेमियों बल्कि पूरे समाज के लिए इंसानियत की ‘सरगम’ बन गई है।
हम बात कर रहे हैं, मकराना तहसील के गांव सरनावड़ा निवासी देवराज सिंह राठौड़ की, जो इस वक्त जोधपुर जिले के तिंवरी गांव में एक निजी स्कूल में व्याख्याता है। देवराज इसी गांव में किराए का मकान लेकर रहते हैं। पिछले दिनों जब गली-गली में लोकवाद्य (रावण हत्था) बजाकर गुजारा करने वाला बिंजाराम नायक उनकी गली में पहुंचा तो देवराज ने देखा कि ज्यादातर लोगों ने घरों के दरवाजे नहीं खोले। यह देख उसने बिंजाराम को अपने घर में बुलाया। बातचीत में झलकी बिंजाराम की पीड़ा ने देवराज को गहरे तक झकझोर दिया। उसने तत्काल अपने पुश्तैनी गांव में एक बीघा जमीन बिंजाराम को स्थायी बेसेरे के लिए सौंप दी। इस जमीन की बाजार कीमत करीब तीन से साढ़े तीन लाख रुपए बताई जाती है।
… इसलिए दर-दर की ठोकरें खा रहा था बिंजाराम
नागौर जिले के ही कचरास निवासी बिंजाराम नायक गत ६ सितंबर को रावण हत्था बजाते हुए देवराज के घर पहुंचा तो उसे उसकी बोली में कुछ अपनापन सा लगा। जब पता चला कि वह भी नागौर का ही निवासी है तो देवराज ने अपनत्व दिखाते हुए उसे घर में बैठाकर खाना खिलाया। बिंजाराम ने अपनी दुखभर कहानी उसे सुनाई। बताया कि कचरास में वह एक झोंपड़ी बनाकर रहता था। लेकिन प्रशासन ने भूमि को गोचर बताकर उसे वहां से जाने को कह दिया। तभी से वह गांव-गांव शहर-शहर घूमकर अपनी कला के प्रदर्शन से जो मिलता है, उसी से गुजारा करता है। रहने को स्थायी घर नहीं है तो खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर है। यह सुनकर देवराज का दिलभर आया और उसने अपनी पैतृक भूमि में से एक बीघा स्थाई निवास के लिए बींजाराम को देने की घोषणा कर कागजात सौंप दिए।
उसका दुख देखा न गया
देवराज बताता है कि उन्होंने भी जीवन में कई दुख देखे हैं, पांच भाइयों में से तीन की अलग-अलग कारणों से अकाल मौत हो गई। पिता सुरेंद्र सिंह राठौड़ सरकारी सेवा में थे, उन्होंने सदैव एक ही बात सिखाई कि दूसरों का जितना भला कर सको करो और इसलिए उसने बिंजाराम को स्थानी निवास के लिए भूमि दी है। जल्द ही लोगों की मदद से उसका आवास भी बनवाने का संकल्प है।
मेरे लिए तो भगवान ही समझो
मुझ जैसे अनजान व्यक्ति के लिए तो देवराज भगवान से कम नहीं। लोग अपनों को जमीन नहीं देते, उन्होंने मुझे रहने के लिए अपनी जमीन दे दी। इससे बड़ी बात क्या होगी। उम्मीद है दीपावली पर मेरे पास रहने को अपना घर होगा।
– बिंजाराम नायक, लोक कलाकार

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