नागौर जिले के ही कचरास निवासी बिंजाराम नायक गत ६ सितंबर को रावण हत्था बजाते हुए देवराज के घर पहुंचा तो उसे उसकी बोली में कुछ अपनापन सा लगा। जब पता चला कि वह भी नागौर का ही निवासी है तो देवराज ने अपनत्व दिखाते हुए उसे घर में बैठाकर खाना खिलाया। बिंजाराम ने अपनी दुखभर कहानी उसे सुनाई। बताया कि कचरास में वह एक झोंपड़ी बनाकर रहता था। लेकिन प्रशासन ने भूमि को गोचर बताकर उसे वहां से जाने को कह दिया। तभी से वह गांव-गांव शहर-शहर घूमकर अपनी कला के प्रदर्शन से जो मिलता है, उसी से गुजारा करता है। रहने को स्थायी घर नहीं है तो खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर है। यह सुनकर देवराज का दिलभर आया और उसने अपनी पैतृक भूमि में से एक बीघा स्थाई निवास के लिए बींजाराम को देने की घोषणा कर कागजात सौंप दिए।
देवराज बताता है कि उन्होंने भी जीवन में कई दुख देखे हैं, पांच भाइयों में से तीन की अलग-अलग कारणों से अकाल मौत हो गई। पिता सुरेंद्र सिंह राठौड़ सरकारी सेवा में थे, उन्होंने सदैव एक ही बात सिखाई कि दूसरों का जितना भला कर सको करो और इसलिए उसने बिंजाराम को स्थानी निवास के लिए भूमि दी है। जल्द ही लोगों की मदद से उसका आवास भी बनवाने का संकल्प है।
मुझ जैसे अनजान व्यक्ति के लिए तो देवराज भगवान से कम नहीं। लोग अपनों को जमीन नहीं देते, उन्होंने मुझे रहने के लिए अपनी जमीन दे दी। इससे बड़ी बात क्या होगी। उम्मीद है दीपावली पर मेरे पास रहने को अपना घर होगा।
– बिंजाराम नायक, लोक कलाकार