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आधार कार्ड नहीं था तो अस्पताल ने किया इंलाज से इंकार, फिर ये क्या हुआ?

locationनागदाPublished: Sep 04, 2018 01:05:54 am

Submitted by:

Lalit Saxena

अस्पताल स्टाफ ने लौटाया, रेलवे परिसर में सड़क पर दिया बच्चे को जन्म

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नागदा. नगर में स्वास्थ्य महकमे के दावों की उलट तस्वीर सामने आई है। यहां एक प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को सरकारी अस्पताल के स्टाफ ने इसलिए भर्ती नहीं किया कि उसके पास आधार कार्ड, सोनोग्राफी एवं खून व पेशाब की जांच की रिपोर्ट नहीं थी। मजबूरन महिला को उसके पति एवं सास ससुर को पैदल ही रेलवे स्टेशन ले जाना पड़ा और प्रसूता ने रेलवे परिसर में ही सड़क पर बच्चे को जन्म दिया।
खास बात यह है कि जब बच्चे का जन्म हो गया तो स्टेशन पर मौजूद कुछ ऑटो चालकों ने महिला को अस्पताल पहुंचाने में मदद की। मामला सोमवार सुबह 8.30 बजे का है। दरअसल दाहोद से मथुरा के बीच चलने वाली मथुरा लोकल ट्रेन से गुजरात के गोधरा शहर निवासी 25 वर्षीय गर्भवती महिला सोनल अपने पति रमेश, सास लीलाबेन और ससुर पर्वतसिंह के साथ नागदा में झाडू बेचने आई थी। नागदा स्टेशन पर उतरते ही महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो जाने पर महिला के पति एवं सास-ससुुर उसे लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां मौजूद स्टाफ कर्मियों ने यह कहते हुए महिला को अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया कि उसके पास आधार कार्ड और किसी प्रकार की मेडिकल जांच की रिर्पाट कार्ड नहीं थे।
स्वास्थ्य महकमे की संवेदनहीनता के चलते जब प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया तो उसके साथ आए परिजन महिला को पैदल ही पुन: रेलवे स्टेशन ले गये जहां उन्होंने रेलवे परिसर में बने साइकिल स्टैंड से लगे एक पेड़ और रेलवे की दीवार से साड़ी बांधकर आड़ की उसके बाद महिला ने बच्चे को जन्म दिया। मां और बेटा दोनों स्वस्थ हैं।
ऑटो चालक की मदद से पहुंची अस्पताल
इधर महिला ने जब बच्चे को जन्म दे दिया और इसकी जानकारी जब रेलवे स्टेशन के बाहर खड़े ऑटो चालक जितेंद्र प्रजापत और खलील अहमद को लगी तो दोनों युवकों ने इंसानियत का परिचय देते हुए महिला और उसके नवजात शिशु को ऑटो में बैठाकर दोबारा सरकारी अस्पताल पहुंचे और अस्पताल में मौजूद स्टाफकर्मियों से जद्दोजहद कर महिला और बच्चे दोनों को भर्ती करवाया। जहां दोनों स्वस्थ्य बताये जा रहे हैं।
लापरवाही बरतने वाली नर्सों को शोकाज नोटिस
ऐसे मामले में गर्भवती महिला की सोनोग्राफी और खून पेशाब की जांच रिपोर्ट होना जरूरी होता है लेकिन नहीं होने की स्थिति में भी किसी भी महिला को अस्पताल में भर्ती करने से इंकार नहीं किया जा सकता है। मामला संज्ञान में आने के बाद अस्पताल में जो दो नर्स आशा और रितू कंकरात ड्यूटी पर मौजूद थी दोनों को शोकाज नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। लापरवाही मिलने पर दोषी नर्सों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. संजीव कुमरावत, बीएमओ

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