नागदाPublished: Aug 08, 2019 01:03:00 am
Ashish Sikarwar
सीएमओ एवं नपाध्यक्ष के बीच चल रही खींचतान से एक तरफ जहां शहर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं, वहीं शासन की योजना का लाभ भी जनता को नहीं मिल पा रहा है।
सीएमओ एवं नपाध्यक्ष के बीच चल रही खींचतान से एक तरफ जहां शहर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं, वहीं शासन की योजना का लाभ भी जनता को नहीं मिल पा रहा है।
नागदा. सीएमओ एवं नपाध्यक्ष के बीच चल रही खींचतान से एक तरफ जहां शहर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं, वहीं शासन की योजना का लाभ भी जनता को नहीं मिल पा रहा है। ऐसा ही एक मामला उस समय सामने आया जब सीएमओ ने हस्ताक्षर के लिए भेजी प्रधानमंत्री आवास योजना की फाइलों को नपाध्यक्ष ने लौटा दिया।
मिली जानकारी अनुसार पिछले दिनों सीएमओ सतीश मटसेनिया ने 10 हितग्राहियों के बैंक खाते में योजना की पहली किस्त एक लाख रुपए जमा करने संबंधी फाइल नपाध्यक्ष अशोक मालवीय के पास स्वीकृति के लिए भेजी थी, लेकिन मालवीय ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इसके कारण हितग्राहियों को योजना का लाभ मिलने में देरी हो रही है। सीएमओ का कहना है नपाध्यक्ष ऐसे लोगों की पैरवी कर रहे हैं जिनकी राशि अभी शासन से नपा को मिली ही नहीं। वही नपाध्यक्ष का कहना है जिन हितग्राहियों को राशि दी जाना है उनकी संख्या 1672 है। ऐसे में मात्र 10 हितग्राहियों को ही राशि का आवंटन कर सीएमओ नया बखेड़ा करना चाहते हैं। मालवीय का कहना है नपा द्वारा मात्र 10 लोगों के खाते में ही राशि डाली गई तो दूसरे हितग्राहियों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए वे चाहते हैं कि अधिकारी पहले शासन द्वारा स्वीकृत तीनों सूची का अवलोकन कर लें फिर इनमें से समान संख्या में नाम निकाल कर हितग्राहियों के खातों में राशि जमा कराएं ताकि विवाद की स्थिति से बचा जा सके। बता दें कि नगरपालिका के पास योजना के क्रियान्वयन के लिए शासन का करीब 23 करोड़ रुपए जमा है।
शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर जिम्मेदार कितने संजीदा हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि दो वर्ष से 845 हितग्राहियों को योजना की पहली किस्त नहीं मिल सकी है। 827 ऐसे हितग्राही भी हैं जो पिछले 8 माह से आशियाना बनाने के लिए सरकारी पैसा मिलने की बाट जोह रहे हैं। हालांकि नगर पालिका द्वारा शहर के 1100 से अधिक हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया जा चुका है, लेकिन अभी भी 1672 ऐसे है जिहें एक पैसा भी नहीं मिल सका है। खास बात यह है कि इसमें से कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने सरकारी पैसा मिलने की आस में जो टूटा-फूटा या कच्चा मकान था उसे भी तोड़ दिया। ऐसे लोगों को या तो ब्याज से पैसा लेकर मकान बनाने पर विवश होना पड़ रहा है या फिर किराये के मकान में रहने पर मजबूर है।
मुझे सभी को संतुष्ट करना पड़ता है
सीएमओ सतीश मटसेनिया के आरोप पर नपाध्यक्ष का कहना है कि अधिकारियों का क्या है वह तो कभी-भी यहां से स्थानांतरित होकर दूसरे शहर चले जाएंगे। मुझे शहर में ही रहकर जनता के सवालों का जवाब देना पड़ते हैं। इसलिए 10 लोगों के खाते में योजना की राशि डालने की बजाए अधिकारी ज्यादा से ज्यादा हितग्राहियों को राशि उनके बैंक खातों में डालने का काम करें ताकि सभी को संतुष्ट किया जा सके। मालवीय ने यह भी कहा अगर शासन से 394 वाली हितग्राहियों की सूची की राशि अभी तक मंजूर नहीं हुई तो नपा के खजाने से राशि लेकर खाते में जमा करा दें, लेकिन जब तक अधिकारी एक साथ ज्यादा से ज्यादा हितग्राहियों को राशि का आवंटन नहीं करेंगे तब तक वह योजना से जुड़ी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।