नागदाPublished: Mar 01, 2019 09:15:51 pm
Gopal Bajpai
भरने के बाद 10वीं की छात्रा दे सकी बोर्ड की परीक्षा
फीस जमा नहीं करने पर नहीं दिया प्रवेश पत्र, तहसीलदार ने दो हजार रुपए
मामला श्रीराम कालोनी स्थित वर्धमान कॉवेंट स्कूल का
नागदा। एक निजी विद्यालय ने फीस जमा नहीं करने पर छात्रा का प्रवेश पत्र रोक लिया। वह तो गनीमत रही कि तहसीलदार सुनील करवरे ने स्कूल पहुंच कर अपनी जेब से दो हजार रुपए जमा कर छात्रा का भविष्य खराब होने से बचा लिया। नहीं तो छात्रा बोर्ड की एग्जाम देने से ही वंचित रह जाती। मामला शुक्रवार का है। श्रीराम कालोनी स्थित वर्धमान कावेंट स्कूल में पढऩे वाली छात्रा
तस्लीम पिता युसुफ निवासी राजीव कालोनी की साल भर की फीस करीब दस हजार रुपए बकाया है। जिसके चलते स्कूल संचालक ने छात्रा का प्रवेश पत्र देने से मना कर दिया। छात्रा ने इसकी शिकायत एसडीएम आरपी वर्मा से की थी। जिस पर एसडीएम ने छात्रा की मदद के लिए तहसीलदार करवरे को स्कूल संचालक से बात कर प्रवेश पत्र दिलाने को कहा। लेकिन स्कूल संचालक ने बकाया फीस जमा करे बिना छात्रा का प्रवेश पत्र देने से मना कर दिया। ऐसे में तहसीलदार करवरे ने अपनी जेब में रखे दो हजार रुपए स्कूल संचालक के हाथ में रखे तब कही जाकर छात्रा को प्रवेश पत्र दिया गया।
नहीं तो हो जाता साल खराब
दरअसल म.प्र.माध्यमिक शिक्षा मंडल 10वीं बोर्ड की परीक्षा प्रारंभ हो गई है। शुक्रवार को एग्जाम का पहला दिन था। ऐसे में अगर तहसीलदार छात्रा की मदद नहीं करते तो वह परीक्षा देने से वंचित रह सकती थी। हालांकि मामले में स्कूल संचालक यशवंत वागरेचा का कहना है की स्कूल चलाने के लिए रुपए की आवश्यकता होती है। हमने छात्रा की माली हालत और अभिभावकों के आश्वासन पर साल भर तक छात्रा को स्कूल में अध्ययन करने का मौका दिया। बकाया फीस वसूलने के लिए यही मौके होते हैै। ऐसे मे भी अगर विद्यार्थियों पर फीस को लेकर दबाव नहीं बनाया जाएगा तो फिर स्कूल का संचालन करना मुश्किल हो जाएगा।
साल भर पहले पिता का दुबई में हो गया था इंतकाल
छात्रा तस्लीम की माली हालत बेहद खराब बताई जाती है। 6 माह पूर्व ही पिता युसूफ की दुबई मे मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि युसुफ की मौत दुबई पहुंचने के कुछ दिन बाद ही हो गई थी। दुबई पुलिस को उसका शव सड़क पर पड़ा मिला था। काफी दिनों तक उसकी पहचान नहीं होने से उसके शव को दुबई में ही सुरक्षित रखा गया। करीब एक माह बाद उसकी शिनाख्त युसूफ के रूप में हुई तो दुबई पुलिस ने युसूफ के परिजनों से संर्पक कर उसकी मौत की सूचना दी। बाद में युसूफ का शव दुबई से शहर लाने में करीब 3 माह 10 दिन का समय लग गया था। युसूफ के घर में पत्नी और चार बच्चे है। जिसमें सबसे बड़ी बेटी की तो शादी हो गई लेकिन तीन बेटिया और एक बेटा और है। जो पिता का साया उठने के बाद मां के लिए घर चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है। यही कारण है कि तीसरे नंबर की बेटी तस्लीम की स्कूल की फीस परिवार के लोग भर नहीं सके है।