कोर्ट ने कहा- एनएसई का काम निवेशकों की राशि और हितों की रक्षा करना, न कि भ्रामक दावे पेश करनाÓ
नागदाPublished: May 19, 2022 04:45:11 pm
शेयर के मालिकाना हक को लेकर एनएसई की याचिका खारिज। फैसले के खिलाफ एनएसई ने पुन: याचिका लगाकर मालिकाना हक को चुनौती दी थी। व्यवहार न्यायालय वरिष्ठ खंड ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि एनएसई ने ट्रांसफर डीड को आधार बनाकर जो केस लगाया है, वह अपूर्ण, भ्रामक एवं प्रतिवादी के फर्जी हस्ताक्षर से तैयार की गई है।
नागदा. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा शेयर के मालिकाना हक को लेकर लगाई याचिका नागदा कोर्ट ने खारिज कर दी। व्यवहार न्यायालय वरिष्ठ खंड ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि एनएसई का काम लोगों की निवेशित राशि और उनके हितों की रक्षा करना है, न कि भ्रामक दावे प्रस्तुत कर राशि हड़पना। एनएसई ने ट्रांसफर डीड को आधार बनाकर जो केस लगाया है, वह अपूर्ण, भ्रामक एवं प्रतिवादी के फर्जी हस्ताक्षर से तैयार की गई है।
मामला मेहतवास (नागदा) निवासी जुगलकिशोर द्वारा शेयर खरीदने और गुम होने से जुड़ा है। जुगलकिशोर सात साल पहले केस जीत चुके हैं। इस फैसले के खिलाफ एनएसई ने पांच साल पहले पुन: याचिका दायर करते हुए शेयर पर मालिकाना हक को चुनौती दी। एनएसई द्वारा प्रस्तुत अधिकतर दस्तावेज में प्रतिवादी का मालिकाना हक साबित हुआ। यह बात एनएसई की तरफ से प्रस्तुत गवाह ने स्वीकार की। इसके चलते कोर्ट ने कंपनी की याचिका खारिज कर दी।
मामला एक नजर में
जुगलकिशोर पिता नाथूराम जालवाल ने 1984-86 के बीच हीरो मोटो कॉर्प (पूर्व नाम हीरो होंडा) में 100 शेयर के आवेदन किया था। इसमें से जुगलकिशोर को 50 शेयर आवंटित किए। 1996 में जुगलकिशोर को आवंटित 50 शेयर गुम हो गए। शेयर गुम होने की सूचना जुगलकिशोर ने हीरो मोटो कॉर्प व मेसर्स कार्वे कम्प्यूटर (एजेंट) को दी। दोनों संस्थाओं ने पत्र व्यवहार से जुगलकिशोर को कोर्ट से शेयर के मालिकाना संबंधी डिक्री लाने को कहा। वर्ष 2014 में जुगलकिशोर ने व्यवहार न्यायालय में केस लगाया। 29 सितंबर 2015 को कोर्ट ने जुगलकिशोर के पक्ष में निर्णय दिया। डेढ़ साल बाद वर्ष 2017 में एनएसई ने याचिका दायर की। कंपनी ने जुगलकिशोर सहित हीरो मोटो कॉर्प व मेसर्स कार्वे कम्प्यूटर को पार्टी बनाया। एनएसई ने कोर्ट को बताया, जुगलकिशोर शेयर बेच चुका है। उसने धोखे से डिक्री प्राप्त की। एनएसई की तरफ से गवाह एवं दस्तावेज प्रस्तुत किए। एनएसई यह सिद्ध नहीं कर पाई कि जुगलकिशोर उक्त शेयर बेच चुका है। धोखे से डिक्री प्राप्त की, इसलिए कोर्ट ने एनएसई द्वारा लगाई याचिका को खारिज कर दिया।
एनएसई के दस्तावेज में-अभिभाषक एसके साहू ने बताया, एनएसई ने प्रस्तुत अधिकांश दस्तावेज जुगलकिशोर से संबंधित थे। मुख्यत: जुगलकिशोर के नाम से बने शेयर सर्टिफिकेट, अधिकांश मेल, जिसमें जुगलकिशोर के पक्ष में पूर्व का निर्णय होने और उसका पक्ष मजबूत होने का हवाला दिया है। प्रकरण में सुनवाई कर रही व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खंड न्यायालय के द्वितीय अतिरिक्त न्यायाधीश सुनीता ताराम ने माना कि जुगलकिशोर ही शेयर का मालिक है।