नागदाPublished: Sep 16, 2018 12:44:31 am
Lalit Saxena
जिस एक्ट को संसद में सभी वर्ग के सांसदों ने समर्थन दिया वो गलत नहीं हो सकता
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नागदा. एट्रोसिटी एक्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत ने मामले में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा है कि, एससी/एसटी एक्ट को लेकर कुछ राजनीतिक संगठनों और लोगों द्वारा भ्रम की स्थिति निर्मित की जा रही है। एक्ट में संशोधन न्याय सिद्धांत को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जिस एट्रोसिटी एक्ट को लेकर समाज का एक तरफा विरोध कर रहा है। उस एक्ट को सर्व समाज के सांसदों का समर्थन है।
गेहलोत ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो एट्रोसिटी एक्ट में फेरबदल किया गया था। उसमें अपराधियों को संरक्षण मिला और पीडि़त को न्याय नहीं मिल रहा था जिसके मद्देनजर केंद्र सरकार को एससी/एसटी एक्ट में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में लाना पड़ा है। सु्रपीम कोर्ट द्वारा जो एक्ट में प्रावधान किए गऐ थे उसमें एफआइआर के पूर्व डीएसपी रेंज के अधिकारियों द्वारा जांच करने के बाद ही मामला दर्ज करने की बात कही गई थी लेकिन नए संशोधन में थाने का सक्षम अधिकारी ही ऐसे मामलों की जांच कर अपने विवेकाधिकार से पीडि़त को न्याय दिला सकता है। एट्रोसिटी एक्ट का गलत इस्तेमाल पर गेहलोत का कहना है कि क्राइम ब्यूरो ऑफ रिकॉर्ड वर्ष 2016 के अनुसार 15 हजार प्रकरणों में से 9 हजार प्रकरण फर्जी पाए गए थे। एक्ट के फर्जी मामलों पर नजर डाले तो इसका प्रतिशत मात्र 70 फीसदी ही है। जबकि अन्य धाराओं में फर्जी मामलों की संख्या इन से कहीं ज्यादा है। कार्यक्रम के दौरान सुल्तान सिंह शेखावत, विधायक दिलीपसिंह शेखावत, नपाध्यक्ष अशोक मालवीय, पूर्व नपाध्यक्ष गोपाल यादव आदि उपस्थित थे।
मप्र के अलावा कहीं नहीं है विरोध
गेहलोत ने कहा कि यदि एससी/ एसटी एक्ट से वाकई समाज का एक तरफ आहत होता तो इसका विरोध मप्र के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी देखने को मिलता। इससे साफ है कि, प्रदेश में विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने के लिए कुछ लोग इस मुद्दे को जानबूझकर हवा देने का काम कर रहें है। गेहलोत ने कहा कि एट्रोसिटी एक्ट पर अध्यादेश लाने का काम पूर्व में कांग्रेस ने किया था भाजपा की सरकार ने तो मात्र इसमें संशोधन किया है जिसको सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है।
सांसद या विधायक बने रहने की गारंटी दे दो नहीं लेंगे आरक्षण का फायदा
जब गेहलोत से पत्रकारों द्वारा पूछा गया कि प्रधानमंत्री आर्थिक रूप से सक्षम लोगों से सब्सिडी छोडऩे की अपील कर रहे तो क्यों नही भाजपा के सांसद और विधायक आरक्षण का लाभ लेना छोड़ देना चाहिए। इस पर गेहलोत का जवाब था कि अगर यह गारंटी मिल जाऐ की 30 से 35 सालों तक वह सांसद या विधायक रहेंगे तो वह भी आरक्षण का लाभ लेना छोड़ देंगे। उनका कहना था कि राजनैतिक में कुछ निश्चित नही होता है। कब कौन अर्श से फर्श पर आ जाए भरोसा नहीं कई ऐसे पुर्व सांसद और विधायक भी हैं जिनका आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। इसलीए यह कहना ठीक नहीं है कि सांसद या विधायक बन गए तो आरक्षण छोड़ देना चाहिए।
यूपीए की तुलना में महंगाई घटी है
पेटेल -डीजल के दामों में लगी आग पर गेहलोत का कहना था कि कांग्रेस की यूपीए सरकार के दस सालो में करीब 42 रूपए 36 पैसे की बढ़ोत्तरी तेल के दामों में हुई जिसकी तुलना में नरेन्द्र मोदी सरकार के 4 वर्षो के कार्यकाल में मात्र 4 रुपए यानि एक रुपए प्रति वर्ष की वृद्धि की गई। जबकि कांग्रेस के कार्यकाल में 4 रुपए प्रति वर्ष के मान से दाम बड़े थे।