संभागायुक्त ने खारिज कर सीइओ के आदेश को
इस चुनाव प्रक्रिया के हटाए सरपंच पंवार ने संभागायुक्त के यहां अपील की थी, जिसे संभागायुक्त ने खारिज कर सीइओ के आदेश को यथावत रखा था। इस आदेश के बाद पंवार ने ग्रामीण पंचायत विभाग में पक्षा रखा था। वहां दलीलें सुनने के बाद सरकार ने पंवार को पुन: सरपंच घोषित कर जिपं सीइओ के आदेश को निरस्त कर दिया। शासन के इस आदेश के बाद से ही पंचायत में असमंजस की स्थिति है। कारण पंचायत एक और सरपंच दो। एक आम जनता द्वारा चुना तो दूसरा पंचों द्वारा। आखिर जनता किसे सरपंच माने। इधर ग्रामीण मूलभूत सुविधओं के लिए भटकते रहे हैं। यही नहीं सचिव व सहायक सचिव की भी फजीहत हो रही है। कभी पंचायत निरीक्षक को चार्ज दिया जाता है तो सचिव व सहायक को वित्तीय प्रभार। पृथक सरंपच गबन में दर्ज प्रकरण पर अग्रिम जमानत पर है और शासन पर राजनीतिक हस्तक्षेप से धारा 40 के प्रकरण को खारिज कर वापस पृथक सरंपच को स्टे दे दिया परंतु पुलिस में दर्ज गबन के प्रकरण के कारण वित्तीय प्रभार के लिए उज्जैन, भोपाल की दौड़ चल रही है, लेकिन अधिकारी संतोषजनक उत्तर नहीं दे रहा है। चहुंओर जहां गंदगी पसरी है, वहीं पानी का घोर संकट है। कर्मचारियों का वेतन बकाया है। अब देखना है होता क्या है।