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निराशा हाथ लगी तो क्या हुआ, उम्मीदों को दें पंख

locationनागदाPublished: May 17, 2018 12:29:25 am

Submitted by:

Lalit Saxena

विकासखंड में ऐसा भी स्कूल मौजूद जहां ५५ बच्चे हुए फेल

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नागदा (कमलेश वर्मा). जिसका डर था…….. आखिर हुआ वहीं, माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड परीक्षा परिणामों ने एक बच्चे की जान ले ली। लिहाजा परिजन बेबसी के आंसू बहाने के सिवा कुछनहीं कर पा रहे। हम बात कर रहे हैं, कक्षा १०वीं में फेल होने से आहृत होकर खुदखुशी करने वाले छात्र की। बोर्ड परिणाम से परेशान बालक ने जहरीला पदार्थ का सेवन कर लिया, उपचार के दौरान इंदौर में छात्र की मृत्यु हो गई। मामले में बिरलाग्राम पुलिस ने मर्ग कायम किया है। वर्ष २०१७-१८ के परीक्षा परिणाम निराशाजनक आए है, इस बात की पुष्टि शिक्षा विभाग के अफसर दबे मुंह कर रहे हैं। अफसरों की मानें तो उन्हें स्वयं इस प्रकार के परिणामों की उम्मीद नहीं थी। नागदा-खाचरौद विकासखंड के सबसे चौकानें वाले परिणाम बालक उमावि उन्हेल ने दिया है। कक्षा १०वीं के ५२ विद्यार्थियों में से १९ बच्चे उत्तीर्ण व २३ बच्चे अनुर्तीण हुए है। वहीं उक्त स्कूल के कक्षा १२वीं में १०८ बच्चों में से ३३ उत्तीर्ण व ५५ अनुत्तीर्ण हुए है। शेष बच्चों को पूरक प्राप्त हुआ है।
परिणाम देखने के बाद भी कार्रवाई नहीं
ग्राफिक्स में दिए गए परीक्षा परिणाम शासकीय स्कूलों के हैं। विडम्बना यह है, कि विभिन्न प्रकार की शासकीय सुविधाएं मिलने के बावजूद शासकीय स्कूलों के शिक्षक बच्चों को आगामी कक्षाओं में पहुंचाने में असफल हो रहे हैं। ऐसा नहीं है, कि शासकीय स्कूलों में बच्चों के बौद्धिक व शैक्षणिक विकास के लिए शासन की ओर से प्रयास नहीं किए जाते है। प्रयास सभी प्रकार के किए जाते हैं, लेकिन शिक्षकों की लापरवाही व बच्चों को बे मन से पढ़ाए जाने का नतीजा है, कि १०८ बच्चों की कक्षा में ५५ बच्चें अनुत्तीर्ण हो रहे हैं।
आगे क्या
मनोचिकित्सकों का कहना है, कि जिन पालकों के बच्चे दसवीं व बारहवीं बोर्डपरीक्षा में अनुत्तीर्ण या पूरक लेकर आए हैं। उन्हें हतास होने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही पालक बच्चों पर परीक्षा संबंधी किसी प्रकार के सवाल जवाब ना करें। जितना हो सके उनका मनोबल बढ़ाए जाए। अनुत्तीर्ण हो चुके बच्चों को शहर के बाहर से मनोरंजन के लिए जाना बेहतर होगा।
परीक्षार्थियों की संख्या उत्तीर्ण अनुत्तीर्ण पूरक
१०वीं में सम्मिलित विद्यार्थी ७५९ ९७ ८७
१२वीं में सम्मिलित विद्यार्थी ६२३ १२२ १२२
कुल १३८२ २१९ २०९
इनका रहा खराब परिणाम
कक्षा १०वीं
स्कूल का नाम उत्तीर्ण अनुत्तीर्ण पूरक प्रतिशत
बालक उमावि उन्हेल १९ २३ १० ३७
हाइ स्कूल रामाबालौदा ११ ०९ ०३ ४७.८
कक्षा १२वीं
स्कूल का नाम उत्तीर्ण अनुत्तीर्ण पूरक प्रतिशत
बालक उमावि उन्हेल ३३ ५५ १९ ३०
कन्या उमावि उन्हेल ५७ ११ १० ७३
(स्त्रोत :बीआरसी कार्यालय, खाचरौद)
एक्सपर्ट कमेंट
कक्षा १०वीं के बालक द्वारा परीक्षा परिणाम से आहत होकर खुदखुशी किए जाने पर मेरी संवेदना है। १०वीं के बच्चों का दिमान कोरा कागज होता है। वे एकाएक कदम उठा लेते है। परिणाम उत्तीर्ण या अनुत्तीर्ण आया हो पालकों को बच्चों से परिणामों को सुधारने के बारे में बात करने के बजाए, उनका मनोरंजन किया जाना चाहिए। बार-बार में एक ही सवाल पूछे जाने पर बच्चों को मानसिक तनाव होगा।इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता, कि बच्चें के फैल होने पर पालक भी उतना ही जिम्मेदार है जितना बच्चा। परीक्षा के दौरान बच्चों से पालकों को अधिकांश समय साथ बिताना चाहिए। जिससे बच्चों के मन में परीक्षा का डर ना बैठे।
डॉ. संजीव कुमरावत, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर
माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा घोषित परीक्षा परिणामों संतोषप्रद रहे हैं। नागदा-खाचरौद विकासखंडके कुछ एक स्कूल हैं जहां पर कुल उपस्थिति के आधे बच्चे अनुत्तीर्ण हुए है। संबंधितों से मुख्यालय के अफसर चर्चा कर अनुत्तीर्ण बच्चों के बारे में जवाब मांगेंगे। पालकों से यह भी अनुरोध है, कि अनुत्तीर्ण हुए बच्चों से रोष पूर्णव्यवहार ना अपनाएं। उक्त व्यवहार से बच्चें स्वयं को हानि पहुंचा सकते हैं।
अर्जुनसिंह सोलंकी, बीआरसी, खाचरौद

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