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दोहरी हत्या के आरोपी घूम रहे बेखौफ, दो साल बाद भी पुलिस के हाथ खाली

locationनारायणपुरPublished: Aug 13, 2018 12:23:27 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

मृतक भाईयों की पत्नियों को घटना के बारे में किसी को भी जानकारी देने पर जान से मारने की धमकी दी थी।

दोहरी हत्या के आरोपी घूम रहे बेखौफ

दोहरी हत्या के आरोपी घूम रहे बेखौफ, दो साल बाद भी पुलिस के हाथ खाली

नारायणपुर. घोर माओवादी प्रभावित अबूझमाड इलाके के तुड़को गांव में हुई दो सगे भाईयों के हत्या की गुत्थी सुलझाने में पुलिस दो साल से नाकाम साबित हो रही है। इससे दोहरी हत्या के आरोपी बेखौफ होकर घुम रहे है। वही घोर माओवादी प्रभावित व पहुंचविहिन क्षेत्र इस दोहरी हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए रोड़ा बना हुआ है। अबूझमाड के तुड़को गांव में निवासरत केये धु्रवा एंव गुटीराम धु्रवा दोनों सगे भाईयों से ग्रामीणों ने सल्फी की मांग की थी। जिसको नहीं देने पर तुड़को के ग्रामीणों ने आक्रोषित होकर 19 अप्रैल 2016 को दोनों सगे भाईयों पर टंगीया से वार कर अधमरी हालत में पेंदा खेती के लिए लगाई गई आग में झोंक दिया था। इससे दोनों भाईयों की जिंदा जलने के कारण मौत हो गई थी।

मृतक के पत्नियों को दी थी जान से मारने की धमकी
इस दरिंदगी भरी दोहरी हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद तुड़को के ग्रामीणों ने मृतक भाईयों की पत्नियों को घटना के बारे में किसी को भी जानकारी देने पर जान से मारने की धमकी दी थी। इसके बावजूद मृतक की पत्नियों ने 19 अप्रैल की रात किसी तरह मसपुर गांव में पहुंचकर अपने रिश्तेदारों को घटना के बारें में अवगत कराकर अपने गांव लौट गई थी। इस घटना की जानकारी मिलने पर ‘पत्रिकाÓ प्रतिनिधि ने अबूझमाड के तुडको गांव में दस्तक देकर घटना की बारे में तहकीकात करने के बाद 9 मई 2016 के अंक में दो सगे भाई को आग में झोंका, पूरा गांव खामोश शीर्षक के साथ प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसको संज्ञान में लेकर पुलिस ने मामले की छानबीन करते हुए मृतक भाईयों की पत्नियों के बयान दर्ज कर 11 मई 2016 को धारा 302 के तहत दोहरी हत्या का मामला पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू कर दी थी। इस घटना को हुए 2 साल का समय बीत गया है। इसके बावजूद पुलिस अभी तक दोहरी हत्या की गुत्थी सुलझाने में नाकाम साबित हो रही है। इससे हत्या के आरोपी बेखौफ होकर घुम रहे है। जिनको पकडऩे के लिए पुलिस नाकाम रही है।

माओवादी प्रभावित व पहुंचविहिन क्षेत्र बना रोड़ा
घोर माओवादी प्रभावित अबूझमाड़ का अस्सी फीसदी इलाके में सड़क पुल-पुलिया का अभाव होने कारण पहुंचविहिन बना हुआ है। इसी इलाके में बसा हुआ तुड़को गांव शामिल है। इस गांव तक पहुंचने के लिए कच्ची पगंडडी वाली सडक एक मात्र सहारा है। इस सडक के सहारे ग्रामीण मिलों का सफर पैदल तय कर मुख्यालय पहुंचते है। वही तुड़को गांव घोर माओवादी प्रभावित इलाकें में शुमार है। जहां पर बस माओवादियों के हुकुमत की तुती बोलती है। ऐसे में तुड़को गांव तक पहुंचकर दोहरे हत्या की गुत्थी सुलझाना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इस हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को रणनीति बनाकर एक आपरेशन लांच करते हुए तुड़को गांव में दस्तक देकर दोहरी हत्या की जांच कर आरोपियों की तलाश करनी पडेगी। इसके बाद ही पुलिस दोहरी हत्या में शामिल आरोपियों तक पहुंचने मे सफल हो पाएगी।

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