सीएम का आदेश भी बेअसर, घुटने भर पानी लांघने की जहमत उठा लेते अधिकारी तो मिल जाती अनाथ को चंद साँसें
भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के आदेश के बावजूद अधिकारी नारायणपुर (Narayanpur) जिले के रैबिज पीड़ित (Rabies patient) के घर नहीं पहुंच सके और ना ही उसे चिकित्सकीय सुविधा दी जा सकी

नारायणपुर. जिले के ओरछा ब्लाॅक के थुलथुली रोड काकावारा के रहने वाले एक अनाथ बच्चे का सरकारी हाॅस्पिटल की उदासीनता के कारण इलाज नहीं हो सका। घटना रायपुर के अंबेडकर हास्पिटल का है। जहाँ एक रेबीज पीड़ित (Rabies patient) बालक को डॉक्टरों ने हाॅस्पिटल में भर्ती करने के बजाय उसे वापस नारायणपुर (Narayanpur) भेज दिया था।
रामकृष्ण मिशन आश्रम में पढ़ने वाला 14 वर्षीय हेमंत आरवी के माता-पिता की मौत काफी पहले हो गयी थी। वह आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहा था। इस बीच गर्मी की छुट्टी के दौरान वह अपने मामा मनीराम पोयाम के घर गया था। यहां उसे एक पागल कुत्ते ने काट (Dog Bite In Narayanpur) लिया था। उसने कुत्ते के काटने की बात किसी को नहीं बताई और आश्रम आ गया। इसके बाद 1 जुलाई को जब आश्रम खुला तो पता चला कि वह रेबीज का शिकार हो गया है।
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आश्रम के शिक्षक उसे 4 जुलाई को राजधानी रायपुर के अंबेडकर हास्पिटल लेकर पहुंचे। यहां कैजुअल्टी में बैठे डाॅक्टर बच्चे की जांच के बाद उसे चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती कराने पहुंचे तो वहां के डॉक्टर ने उसे भर्ती नहीं करते हुए बच्चे को रातों वापस उसके गांव रवाना करवा दिया। जबकि नियमत: बच्चे को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करना था। गौरतलब है कि रेबीज पीड़ित व्यक्ति के लार, थूक या उसके संपर्क में भी जाने से इसके फैलने का खतरा बना रहता है और जिस बालक को रेबीज हुआ है, उसकी जिंदगी भी कितने दिनों की है यह कोई नहीं कह सकता है।
भूपेश बघेल ने बच्चे को वापस बुलाने का दिया था निर्देश
हेमंत के रेबीज बीमारी से पीड़ित (Rabies patient) होने की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने इसे गंभीरता से लिया और बच्चे को तत्काल चिकित्सकीय सुविधा पहुंचाने के लिए नारायणपुर जिले के कलेक्टर और स्वास्थ्य सचिव को निर्देशित किया था। बालक को काकावाड़ा से रायपुर लाने के लिए टीम भी भेजी गई थी। इसके अलावा बालक के इलाज की व्यवस्था एम्स में करने और इलाज का खर्च राज्य शासन द्वारा वहन करने की बात कही थी ।
अफसरों ने बरती लापरवाही
रैबिज से पीड़ित (Rabies patient) बच्चे के घर से पहले एक नदी पड़ती है जिसमे महज घुटने भर पानी है। लेकिन उसी नदी का बहाना बना कर अधिकारी आदेश के 16 घण्टे बाद भी बच्चे तक नहीं पहुंच सके। जबकि उसी रास्ते को रामकृष्ण मिशन ने महज 2 घण्टे में तय किया था।
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