नर्मदा के दक्षिणतट पर स्थित सिवनी मालवा की ग्राम पंचायत गवाड़ी में 71 फीट की ऊंची भगवान शंकर की प्रतिमा विराजमान है। जो इन दिनों शिवभक्तों के साथ यहां आने वाले लोगों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बना है। घाट पर 12 एकड़ के प्रांगण में भगवान भोलेनाथ की भव्य 71 फीट ऊंची प्रतिमा और सामने नंदी की प्रतिमा विराजमान है । परिसर में घाट पर स्नान के लिए 300 मीटर तक सीमेंट कॉन्क्रीट से नहर बनाई गई है, जो श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
घाट पर दुर्गानंद महाराज धूनीवाले दादाजी के नाम से प्रसिद्ध संत का समाधि स्थल है। बद्री प्रसाद पाठक ने बताया कि 1948 से महाराज घाट पर तपस्या करते थे। 1984 में उनका देवलोकगमन हुआ। उनकी लीलाओं से मध्यप्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों के भक्त भी परिचित हुए, जिसके चलते समाधि स्थल पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग आते हैं। भक्तों में इस स्थान को लेकर बड़ी आस्था है।
नर्मदा परिक्रमावासी आते हैं स्नान करने
आंवलीघाट सिवनीमालवा से 23 किमी और सलकनपुर से 13 किमी दूर है। नर्मदा परिक्रमावासी इस स्थल पर स्नान के लिए आवश्यक रूप से आते हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह बताया जाता है कि इस स्थल पर बाणगंगा जो तिलक सिन्दूर से निकलती है, और हथेड़ नदी जो हत्याहरण नदी से विख्यात रही है, इसका संगम स्थल है। नदियों के संगम स्थल पर भीम कुंड भी बना हुआ है। जिसमें अथाह जल रहता है। संगम स्थल पर स्नान करने का अत्यधिक महत्व है। नर्मदा घाट पर लक्ष्मी कुंड भी है। बताया जाता है कि यहां पर मां लक्ष्मी अपने रथ के साथ आईं थीं, आज भी रथ के और मां लक्ष्मी के पैरों के निशान स्थल पर मौजूद हैं।