scriptएमपी की सहायक नदियां सूख गईं, अब नर्मदा के लिए बढ़ गया खतरा | Increased threat to Narmada river madhya pradesh | Patrika News

एमपी की सहायक नदियां सूख गईं, अब नर्मदा के लिए बढ़ गया खतरा

locationनर्मदापुरमPublished: May 17, 2022 07:35:38 pm

Submitted by:

Manish Gite

नर्मदा नदी में मिलने से पहले ही सूख गई सहायक नदियां, इस बार संकट में हैं नदियां….।

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नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा अवैध रेत खनन से पहले ही संकट में है, लेकिन अब उसमें नर्मदा की सहायक नदियां भी सूख गई है। जिससे नर्मदा को और अधिक मुश्किलों से गुजरना पड़ सकता है।

नर्मदा नदी जैसी बड़ी नदी की धार को बनाए रखने में उसकी सहायक नदियों का विशेष योगदान होता है, पर जब सहायक नदियां ही बदहाली का शिकार हो रही हों तो प्रमुख बड़ी नदी के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा होना लाजमी है। ऐसा ही नर्मदा नदी के साथ हो रहा है। हालांकि इस नदी के लिए तमाम योजनाएं बनाई जा रही हैं और कई योजनाएं कार्यशील भी हैं पर उसकी सहयोगी नदियों को जिंदा रखने के कोई उपाय नहीं होते दिख रहे हैं। ऐसा ही नजारा रायसेन जिले में देखने को मिल रहा है, जहाँ कई छोटी-बड़ी नदियां विभिन्न जगहों पर नर्मदा से संगम करती हैं।

 

 

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मौजूदा समय में इनमें से एक भी नदी में पानी नहीं है। हर नदी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है। ये हालात पहली बार नहीं, बल्कि कई सालों से ऐसे ही बने हुए हैं। बारिश में ही इन नदियों में पानी आता है, मगर गर्मियों से पहले ही पूरी तरह सूख भी जाता हैं।

 

नर्मदा नदी में मिलती हैं ये नदियां

बरेली, उदयपुरा और बाड़ी तहसील की सीमाओं से निकली नर्मदा में बरेली तहसील क्षेत्र में कुछ प्रमुख नदियों का नर्मदा में संगम होता है। इनमें खरगोन के पास से निकली इक्यावन नदी और सिलवानी तहसील के सेमरा से निकली तेंदोनी नदी प्रमुख हैं। ये दोनों नदियां पूरी तरह सूखी हैं। इनमें दूर-दूर तक एक बूंद पानी दिखाई नहीं देता। इनके अलावा बंजार नदी, बारना नदी और तवा नदी अन्य प्रमुख सहायक नदियां हैं, इनके भी जल स्तर गिरते जा रहे हैं।

 

सहायक नदियों के लिए एक भी योजना नहीं

नर्मदा नदी के तट पर जैविक खेती, किनारे पर पौधरोपण, सीवेज पानी नदी में न आए, जल की शुद्धता के लिए प्रत्येक गाँव में जागरूकता फ़ैलाने के लिए सिमिति का गठन और नर्मदा नदी को जीवित इकाई का दर्जा देने के लिए अधिनियम का निर्माण जैसी कई योजनाएं हैं। मगर नर्मदा की सहायक नदियों के अस्तित्व को बचाने के कोई भी योजना अभी तक नहीं आई।

 

तेंदोनी नदी

सिलवानी तहसील के ग्राम सेमरा के पास से निकली तेंदोनी नदी लगभग 60 किमी का सफर कर बगलवाड़ा में नर्मदा से संगम करती है। मौजूदा समय में यह नदी लगभग पूरी तरह सूख चुकी है। गड्ढों में जो पानी बचा है, वह मूंग की फसल की सिंचाई में लग रहा है।

इक्यावन नदी

खरगोन के पास से निकली इक्यवान नदी उद्गम स्थल अंधियारी झामर के बाद कुपवाड़ा, वघा, सीतापार होते हुए पड़रिया पर सूकर नदी से संगम कर नर्मदा से आठ किमी पहले पूरी सूखी दिखाई हुई है। नदी में बने गड्ढों में जरूर कहीं-कहीं कुछ पानी दिखाई देता है।

 

इस नदी के कण-कण में शिव

नर्मदा नदी से निकला हर कंकड़ भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। इससे निकले शिवलिंग को नर्मदेश्वर भी कहा जाता है, इसका जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। साथ ही ख़ास बात यह है कि नर्मदा से निकलने वाले अधिकतर पत्थर शिवलिंग के आकार के होते हैं। इसलिए नर्मदा के जल को बचाने और सहेजने की जरूरत है। इसमें हो रहे अवैध खनन को भी रोकना चाहिए।

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