माफिया पर नहीं अंकुश सेठानी घाट के दूसरी तरफ स्थित जोशीपुर, बघबाड़ा घाट पर माफिया नदी के सीने पर प्रहार कर तलहटी से रेत निकल रहे हैं। इसके लिए बकायदा नदी के अंदर जाने के लिए पगडंड़ी जैसे रास्तें बना लिए हैं। तलहटी से रेत निकालकर टापूओं पर इकट्ठा की जाती है। माफिया की दबंगाई का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना सुबह होते ही ट्रैक्टर नदी में उतर जाते हैं। इसकी जानकारी पुलिस, प्रशासन, खनिज विभाग को रहती हैं, लेकिन माफिया पर कोई अंकुश नहीं लगा पाया है। जोशीपुर घाट से बघबाड़ा घाट तक नदी के अंदर से रेत निकालने के लिए ट्रैक्टर के आगे जीसीबी की तरह प्लेट लगाकार दर्जनों ट्रैक्टर कम जल स्तर वाले किेनारे से नदी में प्रवेश करते हैं। ट्रैक्टर के आगे लगी प्लेट और पंजों से तलहटी से रेत निकालकर टापुओं पर जमा की जाती है।
माफिया पर नहीं अंकुश सेठानी घाट के दूसरी तरफ स्थित जोशीपुर, बघबाड़ा घाट पर माफिया नदी के सीने पर प्रहार कर तलहटी से रेत निकल रहे हैं। इसके लिए बकायदा नदी के अंदर जाने के लिए पगडंड़ी जैसे रास्तें बना लिए हैं। तलहटी से रेत निकालकर टापूओं पर इकट्ठा की जाती है। माफिया की दबंगाई का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना सुबह होते ही ट्रैक्टर नदी में उतर जाते हैं। इसकी जानकारी पुलिस, प्रशासन, खनिज विभाग को रहती हैं, लेकिन माफिया पर कोई अंकुश नहीं लगा पाया है। जोशीपुर घाट से बघबाड़ा घाट तक नदी के अंदर से रेत निकालने के लिए ट्रैक्टर के आगे जीसीबी की तरह प्लेट लगाकार दर्जनों ट्रैक्टर कम जल स्तर वाले किेनारे से नदी में प्रवेश करते हैं। ट्रैक्टर के आगे लगी प्लेट और पंजों से तलहटी से रेत निकालकर टापुओं पर जमा की जाती है।