बता दें कि समर्थन मूल्य पर मूंग को बेचने के लिए 65 हजार 592 किसानों ने अपने पंजीयन कराए हैं। गुरुवार को पंजीयन की आखिरी तिथि थी। शासन स्तर से खरीदी कब से शुरू होगी इसके आदेश जारी नहीं हुए हैं और न ही खरीदी केंद्रों का निर्धारण हुआ है। किसानों में धर्मसंकट यह भी है कि शासन उनसे कितनी मात्रा में मूंग की खरीदी करेगी। अगर कम मात्रा में होती है तो किसान अपनी बची हुई मूंग को कहां रखेगा और कब और कैसे बेचेगा। क्या उसे समर्थन मूल्य के बराबर दाम मंडियों में व्यापारियों से मिलेंगे।
मूंग पंजीयन के होंगे सत्यापनजिन 65 हजार 592 किसानों ने समर्थन मूल्य पर मूंग बेचने पंजीयन कराए हैं, उनके सत्यापन होंगे। इसके बाद जो वास्तविक रूप से मूंग उत्पादित रकबे वाले किसान होंगे, उनसे सरकारी खरीदी की जाएगी। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने सभी एसडीएम-तहसीलदारों को निर्देश दिए हैं कि मूंग सत्यापन की रिपोर्ट जिला स्तर पर भेजी जाए, ताकि जिला स्तरीय टीम मूंग का वैरीफिकेशन कर सके।
खरीदी लिमिट नहीं होनी चाहिए
गर्मी की मूंग की खरीदी 15 दिन लेट हो चुकी है। जो किसान शेष रह गए हैं, वह भी संशय में हैं कि शासन उनसे कितनी मात्रा में मूंग खरीदेगा। अगर लिमिट तय होती है तो किसानों को मूंग बेचने में दिक्कतें आएगी। इसलिए लिमिट नहीं होनी चाहिए।
इस बार के ग्रीष्मकालीन सीजन में जिले में 4 लाख मीट्रिक टन मूंग उत्पादित हुई है। इसमें से एक चौथाई से अधिक किसान अपनी उपज को सरकारी खरीदी में देरी एवं खरीफ फसलों की लागत पर आए खर्चे के लिए मंडियों में व्यापारियों को समर्थन मूल्य से कम में बेच चुके हैं। बाकी के पंजीकृत किसान अब मूंग बेच सकेंगे।
जिले में समर्थन मूल्य पर गर्मी की उत्पादित मूंग खरीदी के लिए पंजीयन का काम पूरा हो गया है। जिला स्तरीय कमेटी से सत्यापन के बाद केंद्रों के निर्धारण के साथ ही खरीदी के आदेश आएंगे।
जेआर हेडाऊ, कृषि उप संचालक