scriptMost deaths in SNCU with the most hi-tech facilities | सबसे हाइटेक सुविधा वाले एसएनसीयू में ही सबसे ज्यादा मौत | Patrika News

सबसे हाइटेक सुविधा वाले एसएनसीयू में ही सबसे ज्यादा मौत

locationनर्मदापुरमPublished: Nov 22, 2022 07:42:26 pm

Submitted by:

rajendra parihar

बीते सात महीने में जिले में 5 साल तक के 254 बच्चों की हुई मौत

सबसे हाइटेक सुविधा वाले एसएनसीयू में ही सबसे ज्यादा मौत
सबसे हाइटेक सुविधा वाले एसएनसीयू में ही सबसे ज्यादा मौत
नर्मदापुरम- जिले में शिशुओं की गंभीर बीमारी से उपचार करने के लिए एसएनसीयू बनाया गया है। प्रशिक्षित स्टाफ के साथ ही हाइटेक सुविधाएं भी एसएनसीयू में मौजूद है। हालांकि इस हाइटेक सुविधा वाले एसएनसीयू में भी बीते सात महीनों में 144 बच्चों ने दम तोड़ा है। वहीं पूरे जिले की बात करें तो 5 साल तक के कुल 254 बच्चे इस अवधि मेें मौत का शिकार हुए हैं।
मौत के मामलों में सबसे ज्यादा नवजात
जिले में हुई मौत के मामले में सबसे ज्यादा मौत नवजातों की हुई है। मरने वाले कुल बच्चों में 0 से 28 दिन की आयु वाले 202 बच्चे शामिल हैं। जबकि 29 दिन से 1 वर्ष तक की उम्र वाले 32 और 1 वर्ष से 5 वर्ष तक की उम्र वाले 20 बच्चों की इन सात माह में मौत हुई है।
1 अप्रैल से 31 अक्टूबर तक हुई मौत
ब्लॉक - 0-28 दिन - 29 दिन से 1 साल- 1 से 5 साल
एसएनसीयू - 133 - 1 - 4
इटारसी - 0 - 0 - 0
बनखेड़ी - 5 - 3 - 0
पिपरिया - 20 - 3 - 8
सोहागपुर - 9 - 2 - 1
बाबई - 5 - 3 - 1
सुखतवा - 8 - 6 - 3
डोलरिया - 14 - 3 - 2
सिवनीमालवा - 8 - 1 - 1
बॉक्स
विशेषज्ञ ने बताए क्या हैं मौत के कारण
ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले प्रसव में परिजन बच्चों के लिए पुराने कपड़ों का उपयोग करते हैं। इससे संक्रमण बढ़ जाता है। कई बाद जुड़वा या इससे अधिक बच्चों के एक साथ जन्म होने की वजह से भी बच्चे कमजोर होते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है। एसएनसीयू के मामले में 10 फीसदी मौत को सामान्य रूप में लिया जाता है क्योंकि यहां कुछ बच्चे तो समय से पहले पैदा होते हैं या गंभीर बीमारियों के साथ पैदा होते हैं उनकी मौत को इस प्रतिशत में शामिल किया जाता है।
डॉ. एएल मरावी, पूर्व सीएमएचओ
इनका कहना है
नवजात शिशुओं की मौत के मामले में राष्ट्रीय प्रतिशत देखा जाता है। सामान्यता 8 से 10 फीसदी मौत को सामान्य माना जाता है। फिर भी बच्चों के उपचार में गंभीरता के लिए सभी स्टाफ को निर्देशित किया जाएगा।
डॉ. दिनेश दहलवार, सीएमएचओ
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