स्वच्छता में देश में नंबर वन बनने का सपना संजोए नगर पालिका नर्मदापुरम वार्डों से रोजाना एकत्रित कचरा-पॉलीथिन को ही समेट कर इसका विनिष्टिकरण नहीं करा पा रही है। चौक-चौराहों, सड़कों से कचरा उठ भी गया तो इसे जहां एकत्रित किया जाता है वहां खोजनपुर के टे्रंचिंग ग्राउंड में जगह कम पडऩे से जुड़ी बस्तियों के सामने ही पटका जा रहा। परिषद-प्रशासन ने बीच बस्ती में से टे्रंचिंग ग्राउंड को शिफ्ट कराने नेशनल हाइवे इटारसी रोड पर पवारखेड़ा में जगह भी चिन्हित की, कलेक्टर से आवंटन हुआ, लेकिन नामांतरण ही नहीं हो सका है। नई परिषद को इस बड़ी चुनौती से निपटना होगा।
वर्तमान में नपा सतरस्ता के पास जिस बस स्टैंड को संभालती है और हर बस से 10 रुपए विराम शुल्क वसूलती है, उसकी हालत बेहद खराब है। स्टैंड छोटा पड़ रहा, क्योंकि यहां रोजाना 350 से अधिक बसों का आवागमन होता है। स्टैंड परिसर में यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। स्वच्छ पेयजल, छायादार शेड कम पड़ रहे। जो यात्री प्रतिक्षालय है वह भी गंदा और अनुपयोगी है। बाजू का रैन बसेरा भी बंद रहता है। रात में बाहर के मुसाफिर भी यहां नहीं ठहर पाते हैं। महंगी होटलों में रात बितानी पड़ती है। इस समस्या के लिए अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल की योजना पिछली परिषद ने बनाई और जमीन भी भोपाल तिराहे पर देखी, लेनी चाही लेकिन डूब क्षेत्र बताकर निरस्त कर दिया गया। नई जगह नहीं मिल पाई है। ताकि नए टर्मिनल का निर्माण होकर स्टैंड को शिफ्ट किया जा सके।
शहर के सभी तैंतीस वार्डो में करोड़ों की अमृत योजना के तहत नर्मदा जल को घर-घर में पहुंचाने की पुरानी योजना भी तीन साल में भी पूरी नहीं हो पाई है। अभी भी शहर के आधे हिस्से में पुराने पंप हाउस से ही सप्लाई हो रही है। ठेका कंपनी ने लाइन बिछाई, लेकिन कनेक्शन ही नहीं जोड़े हैं। उप नगर हाउसिंग बोर्ड, मालाखेड़ी, रसूलिया, शांतिनगर-नारायण नगर, मुख्य बाजार सहित अन्य नए-पुराने हिस्सों में अभी भी रहवासी नर्मदा पेयजल से वंचित चल रहे हैं। नर्मदा जल का इंटकवेल-फिल्टर प्लांट का सिस्टम भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा। पाइप लाइन जगह-जगह से लीकेज-फूट रहीं। लाखों लीटर नर्मदा जल बहकर बर्बाद हो जाता है। इस चुनौती को भी नई नगर सरकार को सुधारना होगा।
कोठीबाजार में स्कूल के पीछे नपा ने स्वीमिंग पुल के बदले पक्का हाट बनाया। शेड के नीचे पक्के चबूतरे बनाए, लेकिन इसमें फल-सब्जी विक्रेता बैठते ही नहीं है, यहां अवैध शराब, जुआ, सट्टा का अवैध कारोबार चलता है। शेड के सामने का जो पेविल टाइल्स का मैदान है उसमें भी सभी दुकानें नहीं लग रही, अभी भी मुख्य बाजार सतरस्ता, एसएनजी रोड, हांडा चौराहा सहित अन्य मुख्य सड़कों पर ही हाट-दुकानें अतिक्रमण कर लग रही है।
शहर में सबसे बड़ी समस्या है सड़कों, चौक-चौराहे पर फैले अतिक्रमण की। चाहे मीनाक्षी चौक हो, वीआईपी सदरबाजार-कोठीबाजार कलेक्टे्रट-कोर्ट रोड हो या फिर आईटीआई रोड, रसूलिया हाइवे यहां भू-माफियाओं ने सड़क-फुटपॉथ पर दुकानों, टीन शेड के कब्जे करा दिए हैं। पीले टपों की योजना भी धराशायी हो चुकी है। अतिक्रमण के कारण शहरवासियों खासकर महिलाओं, स्कूली-कॉलेज के बच्चों व बुजुर्गों को आवागमन में भारी दिक्कतें उठानी पड़ती है। आए दिन एक्सीडेंट का सामना करना पड़ता है। नई नगर सरकार की सबसे पहले और बड़ी चुनौती शहर को अतिक्रमण मुक्त करना ही है।
नर्मदा नगर धार्मिक के साथ पर्यटन का भी केंद्र बिंदु है,लेकिन सुविधाओं को विस्तार ही नहीं हो पा रहा है। जबकि जिले को पर्यटन के लिए एक जिला एक उत्पाद में चुना है। मुख्य सेठानी घाट को दोनों तरफ कलेक्ट्रेट के पीछे से लेकर मंगलवारा घाट तक जोड़कर पॉथवे बनाने की योजना भी फैल हो चुकी है। घाटों की सुंदरता पर ग्रहण लगा हुआ है।