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नगर सरकार के लिए चुनीतियों का पहाड़, उम्मीदों का आसमान

locationनर्मदापुरमPublished: Aug 12, 2022 11:48:31 am

Submitted by:

devendra awadhiya

नई परिषद के सामने होंगे ये 12 बड़े मुद्दे, इन्हें दूर किया तो मिलेगी जनता को राहत,पिछली परिषद के समय से अब तक नहीं बन सका सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, नर्मदा जल नहीं पहुंचा पूरे शहर में

नगर सरकार के लिए चुनीतियों का पहाड़, उम्मीदों का आसमान

नगर सरकार के लिए चुनीतियों का पहाड़, उम्मीदों का आसमान

नर्मदापुरम. जिला मुख्यालय वाली नगरपालिका की नई परिषद गठित हो चुकी है। एक बार फिर भाजपा की जोरदार वापसी हुई है। नगर सरकार के बतौर मुखिया अध्यक्ष-उपाध्यक्ष भी चुन लिए गए हैं। चुनाव जीतने के बाद सवा लाख से अधिक की आबादी वाली धार्मिक-पर्यटन नर्मदा नगरी के विकास को लेकर नई परिषद के सामने कई बड़ी चुनौतियों का रेत के पहाड़ जैसा खड़ा है। जिसमें नर्मदा प्रदूषण मुक्ति के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, शहरी आबादी को बाढ़ से बचाने नालों के गहरी-पक्के और अतिक्रमण मुक्त करने, नर्मदाजल की सभी तैंतीस वार्डों में उपलब्धता, टे्रंचिंग ग्राउंड का विस्थापन और शहर को स्वच्छता में नंबर वन बनाने, बेलगाम टै्रफिक व्यवस्था को काबू करने ऑटोमैटिक सिंग्नल सिस्टम, बस स्टैंड का विस्तारीकरण और अंतर्राज्यीय टर्मिनल का निर्माण, कोठीबाजार सब्जी-हाट को व्यवस्थित कर सड़कों से दुकानों की शिफ्टिंग, हाइवे शहर सीमा पर वेलकम नर्मदापुरम के प्रवेश व्दार, मुख्य सड़क सहित वार्डों की जर्जर सड़कों का कायाकल्प जैसी मुख्य मुद्दे और काम शामिल है। लेकिन नई नगर सरकार के सामने शहर के विकास का खाका खींचकर उन्हें दूर करने के लिए जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए पूरा आसमान खुला पड़ा है। जिन महिला पार्षद ने अपने सिर पर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का ताज मुकुट पहना है उन्हें सभी पार्षदों को साथ लेकर चलने उनके क्षेत्र की मूलभूत सुविधाओं और जन समस्याओं को भी समय पर निराकरण कराने की चुनौती भी बढ़ गई है। देखना होगा नई परिषद और उसके जिम्मेदार किस तरह कार्य करते हैं।

सीवेट सिस्टम, नालों की समस्या
शहर के निस्तार के दूषित पानी-नालों के जरिए प्रदूषित हो रही मां नर्मदा को साफ-सुथरा रखने करोड़ों के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तीन साल में भी पूरा नहीं हुआ है। सभी तैंतीस वार्डों के सीवेज एवं निकासी सिस्टम के भी बुरे हाल हैं। बारिश में नाले-नालियां दम तोड़ चुकी है। पानी घरों में घुस जाता है। सड़कें जलमग्न हो जाती है। नपाध्यक्ष नीतू महेंद्र यादव के खुद के गृह वार्ड नारायण नगर में कच्चे नालों एवं नर्मदा पेयजल की समस्या बनी हुई है। यहां बीते सालों की बाढ़ में भरे पानी के कारण घरों में लोगों को बचाने सड़कों पर डोंगे, बोट चलानी पड़ चुकी है। निचली बस्ती में डूब से भी नुकसान रहवासी झेल चुके हैं। वार्डों में अंडरग्राउंड सीवेज सिस्टम का काम ही शुरू नहीं हुआ है। नई परिषद इसे कब पूरा कराएगी यह देखना होगा।

टे्रंचिग ग्राउंड
स्वच्छता में देश में नंबर वन बनने का सपना संजोए नगर पालिका नर्मदापुरम वार्डों से रोजाना एकत्रित कचरा-पॉलीथिन को ही समेट कर इसका विनिष्टिकरण नहीं करा पा रही है। चौक-चौराहों, सड़कों से कचरा उठ भी गया तो इसे जहां एकत्रित किया जाता है वहां खोजनपुर के टे्रंचिंग ग्राउंड में जगह कम पडऩे से जुड़ी बस्तियों के सामने ही पटका जा रहा। परिषद-प्रशासन ने बीच बस्ती में से टे्रंचिंग ग्राउंड को शिफ्ट कराने नेशनल हाइवे इटारसी रोड पर पवारखेड़ा में जगह भी चिन्हित की, कलेक्टर से आवंटन हुआ, लेकिन नामांतरण ही नहीं हो सका है। नई परिषद को इस बड़ी चुनौती से निपटना होगा।
अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल
वर्तमान में नपा सतरस्ता के पास जिस बस स्टैंड को संभालती है और हर बस से 10 रुपए विराम शुल्क वसूलती है, उसकी हालत बेहद खराब है। स्टैंड छोटा पड़ रहा, क्योंकि यहां रोजाना 350 से अधिक बसों का आवागमन होता है। स्टैंड परिसर में यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। स्वच्छ पेयजल, छायादार शेड कम पड़ रहे। जो यात्री प्रतिक्षालय है वह भी गंदा और अनुपयोगी है। बाजू का रैन बसेरा भी बंद रहता है। रात में बाहर के मुसाफिर भी यहां नहीं ठहर पाते हैं। महंगी होटलों में रात बितानी पड़ती है। इस समस्या के लिए अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल की योजना पिछली परिषद ने बनाई और जमीन भी भोपाल तिराहे पर देखी, लेनी चाही लेकिन डूब क्षेत्र बताकर निरस्त कर दिया गया। नई जगह नहीं मिल पाई है। ताकि नए टर्मिनल का निर्माण होकर स्टैंड को शिफ्ट किया जा सके।
घर-घर नर्मदा जल
शहर के सभी तैंतीस वार्डो में करोड़ों की अमृत योजना के तहत नर्मदा जल को घर-घर में पहुंचाने की पुरानी योजना भी तीन साल में भी पूरी नहीं हो पाई है। अभी भी शहर के आधे हिस्से में पुराने पंप हाउस से ही सप्लाई हो रही है। ठेका कंपनी ने लाइन बिछाई, लेकिन कनेक्शन ही नहीं जोड़े हैं। उप नगर हाउसिंग बोर्ड, मालाखेड़ी, रसूलिया, शांतिनगर-नारायण नगर, मुख्य बाजार सहित अन्य नए-पुराने हिस्सों में अभी भी रहवासी नर्मदा पेयजल से वंचित चल रहे हैं। नर्मदा जल का इंटकवेल-फिल्टर प्लांट का सिस्टम भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा। पाइप लाइन जगह-जगह से लीकेज-फूट रहीं। लाखों लीटर नर्मदा जल बहकर बर्बाद हो जाता है। इस चुनौती को भी नई नगर सरकार को सुधारना होगा।
सड़कों पर बाजार, हाट के बुरे हाल
कोठीबाजार में स्कूल के पीछे नपा ने स्वीमिंग पुल के बदले पक्का हाट बनाया। शेड के नीचे पक्के चबूतरे बनाए, लेकिन इसमें फल-सब्जी विक्रेता बैठते ही नहीं है, यहां अवैध शराब, जुआ, सट्टा का अवैध कारोबार चलता है। शेड के सामने का जो पेविल टाइल्स का मैदान है उसमें भी सभी दुकानें नहीं लग रही, अभी भी मुख्य बाजार सतरस्ता, एसएनजी रोड, हांडा चौराहा सहित अन्य मुख्य सड़कों पर ही हाट-दुकानें अतिक्रमण कर लग रही है।
कैसे मिलेगी अतिक्रमण से मुक्ति
शहर में सबसे बड़ी समस्या है सड़कों, चौक-चौराहे पर फैले अतिक्रमण की। चाहे मीनाक्षी चौक हो, वीआईपी सदरबाजार-कोठीबाजार कलेक्टे्रट-कोर्ट रोड हो या फिर आईटीआई रोड, रसूलिया हाइवे यहां भू-माफियाओं ने सड़क-फुटपॉथ पर दुकानों, टीन शेड के कब्जे करा दिए हैं। पीले टपों की योजना भी धराशायी हो चुकी है। अतिक्रमण के कारण शहरवासियों खासकर महिलाओं, स्कूली-कॉलेज के बच्चों व बुजुर्गों को आवागमन में भारी दिक्कतें उठानी पड़ती है। आए दिन एक्सीडेंट का सामना करना पड़ता है। नई नगर सरकार की सबसे पहले और बड़ी चुनौती शहर को अतिक्रमण मुक्त करना ही है।
पर्यटन की सुविधाओं का विस्तार
नर्मदा नगर धार्मिक के साथ पर्यटन का भी केंद्र बिंदु है,लेकिन सुविधाओं को विस्तार ही नहीं हो पा रहा है। जबकि जिले को पर्यटन के लिए एक जिला एक उत्पाद में चुना है। मुख्य सेठानी घाट को दोनों तरफ कलेक्ट्रेट के पीछे से लेकर मंगलवारा घाट तक जोड़कर पॉथवे बनाने की योजना भी फैल हो चुकी है। घाटों की सुंदरता पर ग्रहण लगा हुआ है।
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