अभिलाष चंदेल मानते हैं कि सतपुड़ा की वादियों से लेकर देनवा नदी के उत्तर में सोहागपुर शहर तक का क्षेत्र और सोहागपुर से उत्तर में नर्मदा नदी तक का क्षेत्र पुरातत्व महत्व की ऐतिहासिक सामग्री का भंडार है। खुदाई के दौरन विभिन्न प्रतिमाओं का निकलना आज भी जारी है तथा क्षेत्र के 90 फीसदी मंदिरों या मढिय़ों में खुदाई से निकली प्रतिमाएं दिखाई देती हैं। इसलिए जरूरी है कि क्षेत्र में पुरातत्व का गहन अध्ययन हो झुनझुनी महल जैसे स्थान विकसित किए जाएं तथा सोहागपुर मुख्यालय पर एक म्यूजियम भी बनाया जाए।
मढ़ई रेंज में पदस्थ रहे प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी का मानना है कि झुनझुनी महल का संरक्षण व विकास पर्यटन को बढ़ावा देने वाला साबित हो सकता है। क्योंकि अभी यहां पर्यटक मात्र प्राकृतिक नजारों व वन्यजीवों के दीदार के लिए आते हैं। लेकिन यदि झुनझुनी महल का संरक्षण और विकास होता है तो निश्चित ही पुरातत्व मेें रुचि रखने वाले मढ़ई पहुंचना शुरु कर देंगे। बताया जाता है कि एसटीआर प्रबंधन भी इस दिशा में अब कुछ प्रयास करने जा रहा है, ताकि पर्यटकों के लिए उक्त महल भी विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाए। पुरातात्विक महत्व की इस धरोहर के बारे में एसटीआर असिस्टेंट डायरेक्टर आरएस भदौरिया ने बताया कि उन्होंने भी महल देखा है। प्रयास करेंगे कि वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चाकर इस स्थान को विकसित किया जाए। तथा महल के इतिहास से संबंधित कुछ शिलालेख भी लगाए जाएं ताकि पर्यटक समूचे सतपुड़ा व सोहागपुर क्षेत्र के इतिहास से परिचित हो सके।