हाइवे किनारे, ढाबे-रेस्टोरेंट में भी डिमांड
नर्मदा-तवा नदी के इस मीठे तरबूज फल की जिले से लेकर प्रदेश के हाइवे किनारे एवं इससे जुड़े ढाबों, रेस्टोरेंट और पर्यटन निगम की होटलों में भी डिमांड बनी हुई है। यहां लोगों को भोजन एवं नाश्ते के साथ तरबूज भी सर्व किया जा रहा है।
किसान बोले- तरबूज के अच्छे दाम मिल रहे
सुखतवा से आए किसान रमेश ने बताया कि उनकी इस बार की तरबूज डंगरबाड़ी में फसल अच्छी निकली है। वे रोजाना गाड़ी से तरबूज को बेचने थोक फल मंडी नर्मदापुरम में आ रहे हैं। डंगरबाड़ी खेती कभी घाटा कभी मुनाफा की रहती है। बीते बीते दो साल से कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन के कारण घाटा झेलना पड़ा था, लेकिन इस बार के सीजन में तरबूज के अच्छे दाम मिल रहे हैं। डांडीवाड़ा के विशन, विष्णु ने बताया कि वह तरबूज की खेती करते हैं। इस बार अच्छी पैदावार होने से इसकी मंडियों में आवक के साथ दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। माल-भाड़ा की कोई समस्या नहीं है।
नर्मदा-तवा नदी के इस मीठे तरबूज फल की जिले से लेकर प्रदेश के हाइवे किनारे एवं इससे जुड़े ढाबों, रेस्टोरेंट और पर्यटन निगम की होटलों में भी डिमांड बनी हुई है। यहां लोगों को भोजन एवं नाश्ते के साथ तरबूज भी सर्व किया जा रहा है।
किसान बोले- तरबूज के अच्छे दाम मिल रहे
सुखतवा से आए किसान रमेश ने बताया कि उनकी इस बार की तरबूज डंगरबाड़ी में फसल अच्छी निकली है। वे रोजाना गाड़ी से तरबूज को बेचने थोक फल मंडी नर्मदापुरम में आ रहे हैं। डंगरबाड़ी खेती कभी घाटा कभी मुनाफा की रहती है। बीते बीते दो साल से कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन के कारण घाटा झेलना पड़ा था, लेकिन इस बार के सीजन में तरबूज के अच्छे दाम मिल रहे हैं। डांडीवाड़ा के विशन, विष्णु ने बताया कि वह तरबूज की खेती करते हैं। इस बार अच्छी पैदावार होने से इसकी मंडियों में आवक के साथ दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। माल-भाड़ा की कोई समस्या नहीं है।