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अफसरों की सड़क चकाचक: जनाब, ये बायपास है, इसे चाहिए सर्जरी

locationनर्मदापुरमPublished: Aug 13, 2022 11:41:23 am

Submitted by:

devendra awadhiya

साढ़े चार किमी का 26 करोड़ का बायपास खाइयों में तब्दील, वाहन निकालना मुश्किल, एमपीआरडीसी ने निकाले सुधारने 220 लाख का दूसरा टेंडर

अफसरों की सड़क चकाचक: जनाब, ये बायपास है, इसे चाहिए सर्जरी

अफसरों की सड़क चकाचक: जनाब, ये बायपास है, इसे चाहिए सर्जरी

देवेंद्र अवधिया
नर्मदापुरम. संभागीय मुख्यालय कहने को है। यहां कमिश्नर-आईजी के साथ कलेक्टर बैठते हैं। आला अफसरों के दफ्तर और बंगलों तक जाने की सड़कें तो चकाचक है, लेकिन जनता का इटारसी-नर्मदापुर और माखननगर रोड को जोडऩे वाला साढ़े किमी लंबाई का बायपास खस्ताहाल होकर खाइयों में तब्दील हो चुका है। बारिश के चलते बड़े-बड़े गड्ढों में पानी और कीचड़ के कारण छोटे-बड़े वाहन नहीं निकल पा रहे। सीमेंटेड बाला हिस्सा तो ठीक है, लेकिन डामर वाला बड़ा हिस्सा जर्जर होकर दुर्घटनाओं और इससे होने वाली मौतों को आमंत्रण दे रहा है। दिन में तो जैसे-तैसे वाहन निकलजा रहे, लेकिन रात में जबलपुर, पिपरिया-पचमढ़ी और नागरपुर, बैतूल-इटारसी-नर्मदापुरम के भारी वाहन एवं कार वाहन इन गाडिय़ों की लाइटों में भी नहीं निकल पा रहे। रोजाना 24 घंटों में यहां से करीब दो से ढाई हजार वाहन निकलते हैं। पत्रिका ने जब इस बायपास की हकीकत जानी और देखी तो खतरनाक नजारे सामने आए। बता दें कि 220.39 लाख रुपए की राशि से अब एमपीआरडी से इसका कायाकल्प करेगा। दूसरा टेंडर निकाला गया है।

अफसरों की सड़क चकाचक, जनता परेशान
जिला-संभागीय मुख्यालय पर माखननगर-मालाखेड़ी रोड जिसके किनारे आला अफसरों के विशाल बंगले बने हुए, इसके सामने की डामर की मुख्य सड़क चकाचक है। इस पर से न डामर उखड़ा न गिट्टी निकली। यहीं स्थिति कलेक्टे्रट, कमिश्नरी भवन की रोड की है, लेकिन आमजनता और वाहन चालकों के उपयोग की सड़क-बायपास की हालत दयनीय है।

फैक्ट फाइल…
कब शुरू हुआ था काम : वर्ष 2012
कितना समय लगा बनने : 14 माह से अधिक
कितनी राशि स्वीकृत : 2625.24 लाख
बायपास की कुल लंबाई: साढ़े चार किमी
8 वर्ष में मरम्मत : दो से तीन बार
डामर-गिट्टी गायब, खाई-गड्ढे उभरे
इटारसी-नर्मदापुरम नेशनल हाइवे के जोड़ से लेकर माखननगर स्टेट हाइवे के जोड़ तक के इस बायपास पर डामर-गिट्टी गायब हो चुकी है। इसकी जगह दो से तीन फीट तक के गड्ढों एवं खाइयों ने ली है। पूरी सड़क पर इतनी ठीक जगह भी नहीं बची की दोपहिया या कार वाहन आसानी से निकल सके। भारी हैवी ट्रक-ट्रॉले भी बमुश्किल हिचकोले खाते हुए निकल पा रहे। पीडब्ल्यूडी ने बारिश के चलते इन गड्ढों और खाइयों को मुरम-गिट्टी से भी नहीं भरवाए है, ताकि वाहन निकल सकें। कई हिस्से तो तालाब जैसे दिखाई दे रहे हैं। ज्यादातर 40-50 टन के भारी वाहन और रेत डंपर-ट्रकों से बायपास छलनी हो चुका है।
वाहन में टूटफूट से हो रहा नुकसान
चार पहिया वाहन के चालक शाहरुख ने बताया कि वह बैतूल से माल लेकर आ रहे और इटारसी जा रहे हैं, लेकिन बायपास का अधिकांश हिस्सा करीब 2 किमी का खराब है। गड्ढों और खाइयों से वाहन निकालना मुश्किल हो रहा है। कई बार टूटफूट हो चुकी है। पट्टे टूट जाते हैं। इसका नुकसान झेलना पड़ता है। रात में निकल ही नहीं पाते हैं। सरकार से मांग करते हैं कि इस बायपास को जल्द सुधरवाए।

निर्माण की जांच व कार्रवाई होनी चाहिए

ग्राम जासलपुर निवासी धर्मेंद्र सैनी ने बताया कि बायपास की हालत बहुत खराब है। गहरे गड्ढे-खाइयां बेशुमार हो चुके हैं। इस पर दो पहिया वाहन से भी निकलना मुश्किल हो रहा है। स्ट्रीट लाइट भी नहीं है। रात में इस खस्ताहाल सड़क से निकल नहीं पाते हैं। निर्माण व मरम्मत के कार्य की तकनीकी जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।

पीडब्ल्यूडी नहीं अब एमपीआरडीसी सुधारेगी
इस बायपास का निर्माण पीडब्ल्यूडी ने कराया था और इसका मेंटेनेंस उसके पास था, लेकिन अब इसे नए सिरे से एमपीआरडीसी कराने जा रहा है। इसके लिए नर्मदापुरम-पिपरिया मार्ग के किमी 3.950 मौजूदा नर्मदापुरम बायपास 187.25 पिपरिया तक (एचएस-67) (डिजाइन की लंबाई 61.900 कमिी) 251.00 से किमी 245.100 को छोड़कर इपीसी तकनीक पर दो लेन मार्ग के साथ पेव्ड शोल्डर का पुर्नवास एवं उन्नयन कार्य होगा। इसके लिए 220.39 लाख रुपए की राशि का दूसरा टेंडर निकाला गया है। इस कार्य को 540 दिवस में पूरा करने की अवधि तय की गई है।
इनका कहना है…
समय-समय पर बायपास सड़क के डामरीकरण वाले हिस्से के गड्ढे भरवाए गए थे। बारिश से भारी वाहनों की आवाजाही के कारण सड़क खराब हुई है। अब एमपीआरडीसी नए सिरे से बनवाने जा रहा है।
-अरुण महाला, एसडीओ पीडब्ल्यूडी नर्मदापुरम।

नर्मदापुरम-पिपरिया बायपास में जहां-जहां भी सड़क डैमेज हुई है, वहां ईपीसी तकनीक से टू-लेन मार्ग के साथ पेव्ड शोल्डर का पुर्नवास एवं उन्नयन कार्य के लिए दूसरा टेंडर निकाला है। जैसे ही टेंडर होंगे और बारिश थमेगी उसके बाद काम शुरू कराया जाएगा।
-प्रवीण निमझे, संभागीय प्रबंधक, एमपीआरडीसी नर्मदापुरम।

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