होशंगाबाद। रेलवे ने कई ट्रेनों के एसएलआर कोचों को लीज पर दे रखा है। लीज पर दिए गए इन एसएलआर कोचों में बुक होने वाले सामान की चोरी होने पर अब तक जांच की जिम्मेदारी जीआरपी के पास होती थी। जिस थाना क्षेत्र में पार्सल चोरी की वारदाता होती है उस क्षेत्र की जीआरपी के पास जांच का अधिकार है। इस तरह के मामलों में जीआरपी की निष्क्रियता देखते हुए अब जांच का यह अधिकार जीआरपी के पास से छिनने वाला है। जल्द ही अब यह अधिकार रेल सुरक्षा बल यानी आरपीएफ के पास आ जाएगा।अभी यह है व्यवस्था रेलवे ने अपनी कई ट्रेनों के एसएलआर कोचों को लीज पर दे रखा है। इन एसएलआर कोचों में पार्सल की बुकिंग एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक लीज पर एसएलआरए कोच लेने वाली फर्मों द्वारा की जाती है। पार्सल कार्यालय से जो सामान बुक होता है उसे रेल सपंत्ति में माना जाता है मगर लीज के एसएलआर कोचों को रेल संपत्ति की कैटेगिरी से बाहर रखा जाता है। यदि लीज वाले एसएलआर कोचों में से किसी पार्सल की चोरी हो जाती है तो उसकी जांच की जिम्मेदारी अभी जीआरपी के पास है। जीआरपी ही प्रकरण दर्ज करने से लेकर आरोपी की तलाश तक की प्रक्रिया को अंजाम देती है। जल्द ही यह जिम्मेदारी जीआरपी से छिनने वाली है।आरपीएफ को मिलेगी जिम्मेदारीलीज पर चलने वाले एसएलआर कोचों में चोरी के मामलों में रेलवे ने जीआरपी की सक्रियता को संतोषजनक नहीं माना है और इसी वजह से अब जीआरपी के पास से यह जिम्मेदारी भी छिनने वाली है। रेलवे ने एचएलआर कोचों में बुक हेाने वाले पार्सल को रेल सपंत्ति की कैटेगिरी में रखते हुए उसकी सुरक्षा का जिम्मा आरपीएफ को देने पर सहमति दे दी है। आरपीएफ को भी इस नई व्यवस्था के संबंध में जानकारी दे दी गई है और आरपीएफ को इस संबंध में जल्द ही आदेश भी जारी होने वाले हैं।निर्णय हो गया हैलीज पर दिए गए एसएलआर कोचों में पार्सल चोरी के मामलों की जांच पहले जीआरपी करती थी। अब उसकी जांच का जिम्मा आरपीएफ को दे दिया गया है। जल्द ही नए आदेश के तहत आरपीएफ काम चालू कर देगी।एसजेए जॉनी, असिस्टेंट कमांडेंट आरपीएफ
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