स्काड़ा तकनीक से संचालित होगा तवा डैम, रहेगा बूंद- बूंद पानी का हिसाब
नर्मदापुरमPublished: May 28, 2023 08:52:34 pm
नर्मदापुरम. 1970 के दशक में बने तवा बांध को संचालित करने वाले सिस्टम में लगभग 50 सालों बाद बदलाव किया जा रहा है। अत्याधुनिक स्काडा तकनीक से बांध को लैस कर उसके गेटों को सेंसर से जोड़ा गया है। इसके बाद अब बांध के गेट खोलने के लिए कर्मचारियों को बांध पर नहीं आना पड़ेगा। कंट्रोल रूम में ही सिस्टम पर छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा दर्ज कर एक बटन पर क्लीक किया जाएगा। इसके बाद बांध के गेट खुल जाएंगे। बारिश से पहले सिस्टम एक्टीव कर दिया जाएगा।


नर्मदापुरम. 1970 के दशक में बने तवा बांध को संचालित करने वाले सिस्टम में लगभग 50 सालों बाद बदलाव किया जा रहा है। अत्याधुनिक स्काडा तकनीक से बांध को लैस कर उसके गेटों को सेंसर से जोड़ा गया है। इसके बाद अब बांध के गेट खोलने के लिए कर्मचारियों को बांध पर नहीं आना पड़ेगा। कंट्रोल रूम में ही सिस्टम पर छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा दर्ज कर एक बटन पर क्लीक किया जाएगा। इसके बाद बांध के गेट खुल जाएंगे। बारिश से पहले सिस्टम एक्टीव कर दिया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक 58 मीटर ऊंचे और 1815 मीटर लंबे बांध में 45 वाय 50 के 13 गेट लगाए गए हैं। बारिश के दौरान जल भराव होने पर गेटों को खोलने के लिए कर्मचारी- अधिकारियों की टीम बांध पर जाकर गेटों को हाईडे्रालिक सिस्टम के जरिए खोलती थी। बांध को अपडेट कर कंट्रोल रूम में स्काड़ा सिस्टम लगाया गया है। इससे बांध के 13 गेटों को ऑपरेट किया जाएगा। बारिश में गेट खोलने की स्थिति बनते ही कंट्रोल रूम से कर्मचारी जितना पानी बांध से निकालना है। उसकी मात्रा स्काड़ा सिस्टम पर दर्ज करेगा। इसमें किस गेट से पानी को डिस्चार्ज किया जाना है। उसका नंबर भी डाला जाएगा। इसके बाद एक क्लीक करते ही बांध का गेट खुल जाएगा। उससे दर्ज की गई मात्रा का पानी निकलते ही वह बंद भी हो जाएगा। सिस्टम के लिए कंट्रोल रूम में ही बॉक्स और सेंसर कंम्प्यूटर आदि लगाए गए हैं।