scriptVastu expert told the remedies in the workshop | घर-दुकान, संस्थान में वास्तुदोष को दूर करने से आती है सुख-समृद्धि और आरोग्यता | Patrika News

घर-दुकान, संस्थान में वास्तुदोष को दूर करने से आती है सुख-समृद्धि और आरोग्यता

locationनर्मदापुरमPublished: Feb 23, 2023 10:19:58 pm

Submitted by:

devendra awadhiya

-राष्ट्रीय स्तर के वास्तु विशेषज्ञ अनिल आसवानी ने कार्यशाला में बताए उपाय, सवालों के दिए जबाव

घर-दुकान, संस्थान में वास्तुदोष को दूर करने से आती है सुख-समृद्धि और आरोग्यता
घर-दुकान, संस्थान में वास्तुदोष को दूर करने से आती है सुख-समृद्धि और आरोग्यता
नर्मदापुरम. शहर के कोठीबाजार स्थित आरसीसी मॉल में गुरुवार दोपहर में वास्तु ज्ञान कार्यशाला हुई। इसमें राष्ट्रीय स्तर के वास्तु विशेषज्ञ अनिल आसवानी ने घर-दुकान, संस्थान आदि निर्माण कराते समय वास्तु का विशेष ध्यान रखने एवं पूर्व से बने हुए निर्माणों में वास्तुदोष को दूर करने के उपाय बताए। आसवानी ने बताया कि जरा से उपाय से दोष का निवारण होकर घर-परिवार में सुख-समृद्धि और आरोग्यता आती है। आज के समय में जीवन में वास्तु का बहुत महत्व बढ़ गया है। उन्होंने कार्य, धर्न अर्जन, घर-ऑफिस में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने, कर्ज से मुक्ति. बच्चों के कैरियर, विवाद की अड़चन, जॉब-कैरियर में तरक्की, पति-पत्नी परिवार में मधुर संबंध सहित बीपी-शुगर, कैंसर, दमा, कान, पेट व त्वचा संबंधी रोगों को वास्तु से दूर करने के उपाय भी बताए। पूर्वोत्तर, पूर्व, उत्तर, केंद्र, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पश्चिम दिशाओं में भवन में घर-मकान में कहां क्या चीजें होनी चाहिए, इसके बारे में भी जानकारियां प्रयोग कर बताई। न्यूमेरोलॉजी सहित इच्छापूर्ति मेडिटेशन भी सिखाया। इस मौके पर रिवर लेंड विल्डकॉन ग्रुप के डायरेक्टर रजत मिश्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर आनंद पारे सहित हरिओम शिवहरे, संबेश सिंगोरिया, सहित विभिन्न कार्यक्षेत्र के लोग मौजूद रहे।
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दी रोचक जानकारी
वास्तु विशेषज्ञ आसवानी ने बताया कि वास्तु संवृत्ति का कार्य 10 दिक्पालों से शासित होता है। दो महाप्रबंधक आकाश और पृथ्वी सहित 8 प्रबंधक हमारी उन्नति-प्रगृति व अस्तित्व को नियंत्रित करते हैं। 8 दिशाएं उत्तर-पूर्व, पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, उत्तर-पूर्व एवं उत्तर पर ही वास्तु संबंधी जिम्मेदारियां होती है। संपूर्ण ब्रम्हांड 14 लोकों से बना है। प्रगति-उन्नति के लिए सभी लोकों का आशीर्वाद जरुरी है। पंचतत्वों का विश्व, अणु-परमाणु लोक व 8 अंतक्रियात्मक विश्व के साथ संबंध में समरसता, सुंदरता की कला ही वास्तु है।

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