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10 दिन के लॉक डाउन में जरूरी सामान खरीदने उमड़ी भीड़, सोशल डिस्टेंस की उड़ी धज्जियां

locationनरसिंहपुरPublished: Apr 12, 2021 09:45:13 pm

Submitted by:

ajay khare

सोमवार की सुबह लॉक डाउन होने के बाद फिर से 10 दिन के नए लॉक डाउन की घोषणा ने लोगों को जरूरी व्यवस्थाएं करने के लिए मजबूर कर दिया। परिणाम स्वरूप सोमवार सुबह खोले गए बाजारों में जमकर भीड़ उमड़ी जिसमें न तो सोशल डिस्टेंसिंग कायम रह सकी और न ही कोरोना गाइड लाइन के अन्य निर्देशों का पालन हो सका।

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नरसिंहपुर. सोमवार की सुबह लॉक डाउन होने के बाद फिर से 10 दिन के नए लॉक डाउन की घोषणा ने लोगों को जरूरी व्यवस्थाएं करने के लिए मजबूर कर दिया। परिणाम स्वरूप सोमवार सुबह खोले गए बाजारों में जमकर भीड़ उमड़ी जिसमें न तो सोशल डिस्टेंसिंग कायम रह सकी और न ही कोरोना गाइड लाइन के अन्य निर्देशों का पालन हो सका। सब्जी और किराना बाजार खुलते ही हालात यह बनेे कि लोग सामान लेने के लिए उमड़ पड़े । सबसे ज्यादा मारामारी सब्जी बाजार में हुई जहां जगह कम होने और ग्राहक ज्यादा होने की वजह से ठसाठस की स्थिति बन गई। सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ते देख एसडीएम आरएस बघेल और थाना प्रभारी दुबे को खुद भीड़ के बीच जाकर डंडा दिखाना पड़ा। इसके बाद भी लोग नहीं माने और सब्जियां खरीदने के लिए टूट पड़े।
इस अव्यवस्था के लिए लोगों ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया । लोगों का कहना था कि प्रशासन को हालात का आंकलन कर सब्जी बाजार स्टेडियम में लगवाना था ,वहां पर्याप्त जगह होने से सोशल डिस्टेंस का पालन हो सकता था। इतवारा बाजार अत्यंत संकीर्ण होने से यहां वैसे भी कम लोगों में ज्यादा भीड़ की स्थिति निर्मित होती है।
ेपेट्रोल पंपों पर उमड़ी भीड़
10 दिन के लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए लोगों ने अपने वाहनों की टंकी में भी जरूरी मात्रा में पेट्रोल रखना उचित समझा ।इसलिए पेट्रोल पंप पर भी भीड़ नजर आई । लोगों के मन में यह भय है कि आगामी दिनों में कहीं लॉक डाउन और अधिक दिनों के लिए न बढ़ा दिया जाए जिससे फिर उन्हें पेट्रोल के लिए परेशान होना पड़े।
खेती किसानी से संबंधित दुकानों पर भी किसान जरूरी सामान खरीदते नजर आए।
दोपहर बाद शहर में छाया सन्नाटा
दोपहर में बाजार बंद करने का समय हुआ तो उसके बाद सड़कों पर सन्नाटा छा गया । शहर के सभी मार्ग सूने हो गए और कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था । लोग पुलिस प्रशासन की कार्रवाई के डर से अपने घरों में कैद हो गए केवल शासकीय अमला ही सड़कों पर दिखाई दिया।
बसें न चलने से भटकते रहे यात्री
लॉक डाउन को ध्यान में रखते हुए लोगों ने यात्राएं नहीं की, अत्यंत जरूरी काम होने पर ही लोगों ने यात्रा की। यात्रियों की संख्या कम होने की वजह से अधिकांश रूटों पर बसें नहीं चलीं । जिस रोड पर थोड़े थोड़े अंतराल से चार या पांच बसें चलाई जा रहीं थी वहां एक दो बसें ही चलीें। कई रूटों पर तो बसें नहीं चलीं जिसकी वजह से यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं मिला। साधन के इंतजार में या फिर अपने परिजनों को सूचना देकर मोटर साइकिल या कार, ऑटो के इंतजार में यात्री बस स्टैंड के मुसाफिर खाने म, दुकानों के बाहर अपने साथ लाया गया भोजन कर समय काटते नजर आए ।
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