इतना ही नही, यहां महिला डॉक्टर ने यह कहते हुए उसे जिला अस्पताल भेज दिया कि यदि वह मेडिकल कराती है तो उसे पेशी पर जाना पड़ेगा। इसके बाद बेटी को लेकर पिता जिला अस्पताल पहुंचा, लेकिन यहां भी काफी देर के बाद मेडिकल हो सका।
घटना के बाबत करेली थाना की एसआई दीप्ति मिश्रा ने बताया कि थाना क्षेत्र निवासी 15 वर्षीय किशोरी के गायब होने के मामले में पुलिस ने धारा 363 के तहत अपराध पंजीबद्घ किया था। मामले की पड़ताल के दौरान पता चला कि करेली बस्ती क्षेत्र निवासी आकाश पिता राजू (20 वर्ष) किशोरी को लेकर भागा है, जिसकी तलाश हुई तो उसे गाडरवारा क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पीड़ित ने अपने साथ हुए दुराचार की जानकारी दी। पीड़िता ने पुलिस को बताया है कि गाडरवारा क्षेत्र के एक खेत में उसके साथ युवक ने दुराचार भी किया है।
इस बीच मेडिकल को लेकर हुई देरी और अस्पताल की डॉक्टर की सलाह के बाबत नागरिकों का आरोप है कि करेली अस्पताल में दुराचार जैसे गंभीर मामलों के दौरान भी पीड़िताओं का मुलाहजा समय पर न होने की शिकवा-शिकायतें कोई नई नहीं हैं, जिससे न केवल पीड़ित और उसका परिवार प्रभावित होता है, बल्कि पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को भी समय पर मेडिकल न होने से आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करने में देर होती है। पुलिसकर्मी भी कहते हैं कि गंभीर मामलों में अस्पताल का असंवेदनशील रवैया परेशानी की वजह बनता है। आम नागरिकों का यह भी कहना है कि प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़िता जिस थाना क्षेत्र की है, उसी क्षेत्र के अस्पताल में उसका मेडिकल हो, ताकि संवेदनाएं तार-तार न हों।
“हमारे पास अमला भी कम है, महिला डॉक्टर नाइट ड्यूटी पर थीं और वह थक भी चुकी थीं। ऐसे मामलों में मेडिकल करने में ट्रेंड भी नहीं हैं, इसलिए किशोरी को मुलाहजा के लिए जिला अस्पताल भेजा गया, जिला अस्पताल में डॉक्टर भी अधिक हैं तो कोई दिक्कत भी नहीं होगी।”- डॉ. ऋषि साहू, बीएमओ करेली