बैंड और भजनों के साथ चुनरी यात्राएं गोटेगांव के मुख्य बाजार से होती हुई नर्मदा नदी के मुआरघाट एवं झांसीघाट के लिए रवाना हुईं। नर्मदा नदी के मुआरघाट एवं झांसीघाट में जयंती पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब नजर आया। वहीं तटों पर विभिन्न सदस्यों ने सहयोग राशि एकत्रित करके भंडारे संचालित किए, जो सुबह आठ बजे से रात तक चलते रहे। तटों पर १२ से अधिक भंडारों में सुबह से शाम तक लोगों को प्रसाद का वितरण किया गया। नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन कर भंडारे मे महाप्रसाद ग्रहण कर रहे थे।
सबसे पहले चुनरी यात्रा देवनगर पुराना गांव के श्रद्धालुओं की गोटेगांव से बैंड-बाजे के साथ निकली। इसके बाद कुशवाहा समाज की चुनरी यात्रा, सबसे बड़ी चुनरी यात्रा बरहटा के रीझा गांव की थी, करीब एक किलोमीटर की दूरी तक श्रद्धालु चुनरी को पकड़ कर अपनी मंजिल की ओर भक्ति भाव से जा रहे थे। सबसे आगे मां नर्मदा की प्रतिमा मौजूद रही। नर्मदा मंदिर गोटेगांव से झांकियों के साथ चुनरी यात्रा निकाली गई। इसी तरह अनेक स्थलों से चुनरी यात्रा भक्ति भाव के साथ नर्मदा तटों पर पहुंची।
नर्मदा तट मुआरघाट मे समिति के सदस्यों के द्वारा जयंती पर शाम के समय महाआरती का आयोजन किया गया यहां पर बड़ी संख्या मे उपस्थित श्रद्धालुओं ने महाआरती मे हिस्सा लेकर नर्मदाष्टक के साथ मां नर्मदा का दीपों से अर्चन किया। इसके साथ ही श्रद्धालुओं ने दीपदान कर आशीर्वाद प्राप्त किया।