नरसिंहपुरPublished: Dec 28, 2018 07:08:21 pm
ajay khare
फैल रहा प्रदूषण आसपास के खेतों में आग लगने का खतरा
narwai
गाडरवारा। इन दिनों बड़े पैमाने पर किसानों द्वारा खेतों में गन्ना कटाई का काम जारी है। जिसमें किसानों द्वारा खेतों में गन्ना काटने के बाद बिखरे गन्ने के सूखे पत्ते, छिलके, नरवाई के ढेर लगे रहते हैं। इन्हें खेत से साफ कराने के बजाय अधिकतर किसान आग लगाकर खेत में ही जला देते हैं। साथ ही गन्ने की कटाई में अनेक किसानों तथा सुगर मिलों द्वारा गन्ना भी जलाकर काटा जाता है। इस प्रकार नरवाई एवं कचरा जलाने से जहां वातावरण में जमकर प्रदूषण फैलता है। वहीं हवा चलने से आसपास के गन्ने के खेतों में आग लगने का भी खतरा बना रहता है।
मित्र कीट उर्वरा क्षमता का होता हृास
खेती के जानकार बताते हैं कि इस प्रकार खेतों को आग लगाने से अनेक प्रकार के मित्र जीवाणु एवं कीटों के साथ भूमि के पोषक तत्व जो ऊपरी परत में रहते हैं। आग लगने से सब नष्ट हो जाते हैं। इससे खेत की उर्वरता बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद, उर्वरकों का इस्तेमाल करना पड़ता है। जो अंत में जमीन के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं।
छाई रहती है धुंध की परत
ठंड के दिनों में खेतों में आग लगाने से धुंआ वातावरण में छाया रहता है, इससे रात के समय धुंध की परत सी छाई दिखती है। जो पर्यावरण में तरह तरह से नुकसान पहुंचाती है। गौरतलब रहे कि प्रशासन द्वारा खेतों में नरवाई जलाने की मनाही है। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन के निर्देशों की अनदेखी करते हुए लगभग हर गांव में नरवाई जलाई जाती है। कई जगह इसके दुष्परिणाम बाजू के खेत में आग लगने के रूप में भी सामने आते हैं। बावजूद इसके कचरे को खेत से हटाने या खेत में ही बखरने के जलाने का तरीका अपनाया जाता है।
खेत में बखरने से अधिक लाभ
बताया जाता है कि गन्ना व अन्य फसल काटने के बाद नरवाई को जलाने के बजाय यदि खेत में ही बखर कर मिटटी में मिला दिया जाए तो अधिक उपयोगी साबित हो सकती है। अनेक जागरुक किसानों ने प्रशासन से किसानों को समझाईश देकर नरवाई जलाने पर पूरी तरह रोक लगाने की अपेक्षा जताई है।