भगवान दास बेधडक़ होशंगाबाद ने हास्य व्यंग्य की फुलझडिय़ों और चौकडिय़ों के माध्यम से श्रोताओं का मनोरंजन करते हुए कविता प्रस्तुत की कानून अगर अंधा न हो तो सज्जन दागदार न होगा, नेता अगर चोर न हो तो, डाकू थानेदार न होगा। नरेन्द्र सराठे न मैं कलम का पुजारी मदारी नहीं हूं गीत तरून्नम में गुनगुनाया। शशिकांत मिश्र ने हास्य व्यंग्य की फुहार यूं बिखेरी- उधर जेल में बाबा बैठे पुजते थे भगवान से, बड़ी देर में दुनिया जानी साधु नहीं शैतान थे। रोचक सरस संचालन करते हुए कविवर ब्रजकिशोर पटेल ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। वहीं दोस्ती को यूं सुभाषित किया- सच भले कड़वा हो दवाई के बराबर होता है, हौसला हो तो पहाड़ भी राई के बराबर होता है। ओज हास्य के सुपरिचित कवि अशोक त्रिपाठी ने भरपूर तालियों के बीच गरिमामय काव्यपाठ करते हुये आयोजन में समा बांधा। धरती पुत्र किसान के दर्द को कवि ने यूं उभारा
सीने पर भी खाकर गोली वंदे मातरम् गाता हूं, मैं किसान का बेटा देखो फसल उगाता हूं। कवि त्रिपाठी ने सभी को लोकसभा चुनाव में मतदान करने के लिये यूं प्रेरित किया
आन बान शान के सम्मान को जिताइये, चरित्र रीति नीति के विधान को जिताइये, देश की प्रगति में मतदान करके आप लोकतंत्र और संविधान को जिताइये। कवि सम्मेलन में सरपंच नर्मदा पटेल, उप सरपंच छोटे लाल पटेल, स्वघानंद तुलसीराम पटेल, मुरारीलाल सोनी, नारायण सेनपुरिया, श्यामलाल पटेल, राजेश दुबे, कुंजीलाल, सुरेन्द्र शिवनारायण सेनपुरिया, सोमनाथ सिलावट, ओमकार राजू डालचंद, नर्मदा प्रसाद, गिरवर, संजय पटेल,संतोष सोनी, महेश मेघा, सचिन सौरभ अकलेश, मलखान पटेल, कैलाश चंद, चोखेलाल, अज्जु भाईजान रामस्वरूप मेहरा गोपाल ठेकेदार सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।