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सर्दी के मौसम में आंवले की खेती दिला रही सेहत और मुनाफे का विटामिन सी

locationनरसिंहपुरPublished: Dec 07, 2022 11:37:23 pm

Submitted by:

ajay khare

गाडरवारा के मोहपानी गांव के किसान आंवले की खेती से ले रहे हर साल 40 टन का उत्पादन

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नरसिंहपुर- सर्दी के मौसम में जब सेहत का ख्याल रखने और इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए विटामिन सी सभी के लिए जरूरी हो गया है। ऐसे में आंवले की बढ़ती मांग जिले के युवा और प्रयोगधर्मी किसान मधुर माहेश्वरी के लिए भी मुनाफे का विटामिन सी दे रही है। गाडरवारा तहसील के अंतर्गत आने वाले जंगल से घिरे मोहपानी गांव में मधुर की करीब 15 एकड़ में आंवले की फ सल है। जिससे प्रत्येक सीजन करीब ४० टन आंवला निकल रहा है और एक माह से मांग बढ़ी है। गाडरवारा निवासी मधुर बताते हैं कि मोहपानी में उनकी 15 एकड़ जमीन है। जहां पर वर्ष 2009 में उनके पिता नवनीन माहेश्वरी ने एनएच 7,एनएच, मोदक, प्रतापगढ़ी, देशी, चकला किस्म के आंवले के करीब 850 पौधे लगाए थे। पांच साल में उनके ७९० पेड़ तैयार हो गए और फ ल देने लगे। खेत से आंवले की तुड़ाई कराकर वह नागपुर, इंदौर, जबलपुर, बालाघाट जैसे शहरों की विभिन्न कंपनियों में सप्लाई करते है। फु टकर बाजार में भी उनके आंवले की पूछपरख अच्छी है और व्यापारी खेत से ही ले जाते हैं। मधुर बताते है कि पिछले सालों की अपेक्षा आंवला के दामों में सुधार हुआ है वर्तमान में आंवला ३० रूपए किलो की दर से बिक रहा है।
कैंडी-मुरब्बा के लिए 3 किस्मों की मांग
आंवले की कैंडी और मुरब्बा बनाने में एन 7, मोदक और चकला किस्म के आंवले की मांग मधुर अधिक बताते हैं। वे कहते हैं कि इन किस्मों का आंवला आकार में बड़ा होता है। इसलिए इसकी मांग अधिक आती है। आंवले को तोडऩे के बाद 3 दिन में कंपनी.व्यापारी तक पहुंचाना होता है। पूरी फ सल से एक सीजन में करीब ४० टन आंवला निकल आता है। वहीं अन्य किस्मों का आंवला च्यवनप्राश, दवा, पाउडर आदि बनाने में लगता है। जिससे इसकी खपत भी आसानी से हो जाती है।
पथरीली जमीन में हो सकती है आंवले की खेती
मधुर कहते हैं कि आंवले की खेती के लिए जरूरी नहीं है खेत में काली या बहुत उपजाऊ मिटटी ही हो,बल्कि उनक ा खेत जंगल से लगा है और पूरा इलाका पथरीला है तो पानी की दिक्कत भी रहती है। आंवले की फ सल के लिए पानी कम ही लगता है। फ ल आते हैं तो उन्हें बंदर अथवा अन्य पशु-पक्षी भी नुकसान नहीं पहुंचाते। यही सब सोचकर पिता ने अलग-अलग नर्सरियों से पौधे लगाकर यह फ सल तैयार की। अब चूंकि खेती वह संभाल रहे हैं तो आंवले की सप्लाई बाहर भी होने लगी हैं।
वर्जन
जिले में कुछ जगहों पर किसान आंवले की खेती की ओर आकर्षित हो रहे है,वर्तमान में गाडरवारा के मोहपानी के अलावा,नरसिंहपुर के गोरखपुर और जिले के अन्य जगहों पर भी कुछ किसानों ने आधा से एक एकड़ तक खेत में आंवले का प्लांटेशन किया है।
डा आशुतोष शर्मा कृषि वैज्ञानिक केवीके नरसिंहपुर

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