रविवार को स्वरूपानंद सरस्वती का 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। सोमवार को नरसिंहपुर में उन्हें समाधि दी गई। स्वरूपानंद सरस्वती की पार्थिव देह के समक्ष यह ऐलान कर दिया गया कि ज्योतिष पीठ (jyotishpeeth) का प्रभार अभी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज (avimukteshwaranand ) के पास है। जबकि द्वारका पीठ (sharda peeth) का प्रभार दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती (sadanand saraswati) को मिला हुआ है।
कौन है दंडी स्वामी सदानंद
स्वामी सदानंद का जन्म नरसिंहपुर के ही बरगी नामक ग्राम में हुआ था। पूर्व नाम रमेश अवस्थी था। आप 18 वर्ष की उम्र में शंकराचार्य आश्रम चले आए थे। ब्रह्मचारी दीक्षा के साथ ही इनका नाम ब्रह्मचारी सदानंद हो गया। बनारस में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा दंडी दीक्षा दिए जाने के बाद इन्हें दंडी स्वामी सदानंद के नाम से जाना जाने लगा। स्वामी सदानंद गुजरात में द्वारका शारदापीठ में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में कार्य संभाल रहे हैं।
दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
अविमुक्तेश्वरानंद का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था। इनका पहले का नाम उमाकांत पांडे था। छात्र जीवन में वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रनेता भी रह चुके हैं। अविमुक्तेश्वरानंद युवावस्था में शंकराचार्य आश्रम में आए थे। ब्रह्मचारी दीक्षा के साथ ही इनका नाम ब्रह्मचारी आनंद स्वरूप हो गया था। बनारस में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा दंडी दीक्षा दिए जाने के बाद इन्हें दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नाम से जाना जाने लगा। अब उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में ज्योतिषपीठ का कार्य संभाल रहे हैं।
शंकराचार्य बनाए जाने की घोषणा के बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद जैसी विभूति कोई दूसरी नहीं हो सकती, अपने जीवनकाल में ही उन्होंने अपना उत्तराधिकारी बनाकर कर्तव्य निभाया। उन्होंने अपना हर कर्तव्य पूरी जिम्मेदारी से निभाया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि स्वामीजी को श्रद्धांजलि देने परमहंसी आश्रम में देश के सभी मठों से प्रतिनिधि आ रहे हैं।
इधर, शारदा पीठ के नए शंकराचार्य सदानन्द सरस्वती ने भावुक होते हुए मीडिया से कहा किउनके आंसू छलक आए। उन्होंने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। प्रभु सबको ये दुख सहने करने की शक्ति दे। सदानंद ने कहा कि देश को आध्यात्मिक उत्थान के मार्ग पर ले जाने का प्रयास जारी रहेगा।
गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले ही शंकराचार्य आश्रम, परमहंसी गंगा क्षेत्र झोतेश्वर के पंडित सोहन शास्त्री ने मीडिया को बताया था कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वीत के प्रमुख शिष्य दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती व अविमुक्तेश्वरानद को यह प्रमुख दायित्व सौंपा जा सकता है।