आयोग की एक टीम ने पुरोहित के घर पहुंच कर उनके बयान दर्ज किए थे। जिसके बाद टीम एसडीएम कार्यालय , थाने भी गई थी। इससे पहले आयोग ने २८ अगस्त को पुलिस महानिरीक्षक और राजस्व संभाग आयुक्त को तीन सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए थे। आयोग द्वारा निर्धारित समय सीमा पूरी होने के बावजूद आयुक्त द्वारा पीडि़त के बयान दर्ज नहीं किए थे और आईजी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होने पर आयोग ने खुद ही जांच शुरू कर दी थी। जानकारी के अनुसार आईजी ने आयोग को जो रिपोर्ट भेजी थी उसमें घटना की पुष्टि की गई थी पर घटना के लिए दोषी कौन है इस बारे में कुछ नहीं कहा गया था।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की तीन सदस्यीय टीम ने खुरपा गांव जाकर पीके पुरोहित और कलेक्टर कार्यालय में घटना के वक्त जन सुनवाई में मौजूद नगर सैनिक, अन्य विभागों के अफसरों व कर्मचारियों सहित कोतवाली थाना टीआई अमित दाणी के बयान दर्ज किए थे। तत्कालीन कलेक्टर अभय वर्मा ने बयान दर्ज नहीं कराए थे जिस पर आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया था। जिस पर बाद में उन्होंने अपना बयान लिखित रूप में प्रस्तुत किया था। घटना को लेकर प्रशासन ने बचाव की पूरी तैयारी की थी। आयोग ने घटना के दौरान के सभी सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था पर प्रशासन ने यह कहकर अपना बचाव किया है कि घटना के वक्त सीसीटीवी कैमरों का रखरखाव और उनकी शिफ्टिंग का काम चल रहा था जिसकी वजह से घटना के दौरान का कोई भी सीसीटीवी फुटेज उनके पास नहीं है ।
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पत्रिका की खबर पर राज्य मानव अधिकार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने संज्ञान लिया था। इस बारे में जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट आयोग को सौंपी जा चुकी है।
एन जामले, डीएसपी मानव अधिकार आयोग
पत्रिका की खबर पर राज्य मानव अधिकार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने संज्ञान लिया था। इस बारे में जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट आयोग को सौंपी जा चुकी है।
एन जामले, डीएसपी मानव अधिकार आयोग