scriptभारत की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्यति है आयुर्वेद | Ayurveda is India's oldest medical practice | Patrika News

भारत की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्यति है आयुर्वेद

locationनरसिंहपुरPublished: Sep 20, 2018 08:53:46 pm

Submitted by:

ajay khare

नरसिंहपुर। दादी के नुस्खे भी आयुर्वेद चिकित्सा का ही एक रूप है। भारत की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद है। आयुर्वेद के माध्यम से जटिल रोगों का उपचार भी संभव है, हालांकि उपचार में समय लगने की वजह से लोग इससे किनारा कर जाते हैं। वहीं जटिलतम रोगों का संपूर्ण उपचार नुकसान हुए बिना आयुर्वेद के माध्यम से संभव है।

Grandma's prescriptions are also a form of Ayurveda medicine, counseling to patients found in two days camp

Grandma’s prescriptions are also a form of Ayurveda medicine, counseling to patients found in two days camp

नरसिंहपुर। दादी के नुस्खे भी आयुर्वेद चिकित्सा का ही एक रूप है। भारत की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद है। आयुर्वेद के माध्यम से जटिल रोगों का उपचार भी संभव है, हालांकि उपचार में समय लगने की वजह से लोग इससे किनारा कर जाते हैं। वहीं जटिलतम रोगों का संपूर्ण उपचार नुकसान हुए बिना आयुर्वेद के माध्यम से संभव है। आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सा ऐसे नाम है जिनसे उपचार के लिए मरीज को बताए गए परहेज करना भी नितांत आवश्यक होता है। प्राय: व्यक्ति उपचार तो लेते है, लेकिन परहेज न होने से भी इसके परिणाम आने में समय लग जाता है।
यह बात स्थानीय जिला अस्पताल में आयोजित दो दिवसीय आयुष मेले में आए डाक्टर गंगाधर द्विवेदी ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ज्यादातर तनाव में रहने के कारण व्यक्ति कम आयु में भी पार्किंसंस बीमारी की चपेट में आ रहे है। तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करना भी इस बीमारी का कारण है। किसी बीमारी के कारण ज्यादा दवाओं का सेवन और फास्ट फूड ज्यादा खाना से यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में मस्तिष्क से जाने वाली नलियों में अवरोध हो जाता है। यह रोग जब मानव शरीर में प्रवेश करता है ऐसा रोग है जो व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों से घेर लेता है। यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी के शरीर के अंग कंपन करते रहते हैं। मानव शरीर में पार्किंसन का आरम्भ बहुत धीरे धीरे होता है। डॉक्टरों के अनुसार ज्यादातर 50 से ज्यादा आयु वाले व्यक्ति में इसका होने का खतरा है। इसका इलाज संभव है लेकिन समय पर पहचान करना जरूरी है।
शासकीय जिला अस्पताल के नये भवन में आयुष स्वास्थ्य मेले के दूसरे दिन भी उपचार कराने मरीज पहुंचे। शिविर में आयुर्वेदिक, हौम्योपेथिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों से परामर्श और निशुल्क दवा का वितरण किया गया। उप संचालक आयुष डॉक्टर पीसी शर्मा, डाक्टर राजीव मिश्रा, डाक्टर गंगाधर द्विवेदी और आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर के चिकित्सा विशेषज्ञों ने मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श दिया।
जिला अस्पताल के आयुष विंग प्रभारी डा उपेंद्र धु्रर्वे ने बताया कि लगभग 1 हजार से अधिक मरीजों को इस शिविर के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श दिया गया है। मरीजों को आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं यूनानी दवाईयों के अलावा मलेरिया, चिकुनगुनिया की होम्योपैथी औषधि का निशुल्क वितरण किया।

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