यहां कोमल मन और कोमल तन पर पड़ने वाले कुप्रभाव से किसी को कोई सरोकार हो, ऐसा देखाई भी नहीं दे रहा है। ऊपर से ऐसे मौसम में शासकीय विद्यालयों के कक्षा तीसरी चौथी छठवीं एवं सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों को परीक्षा देने मजबूरी में आना जाना पड़ रहा है। पालकों का कहना है कि, परीक्षा का समय भी ऐसे मौसम की मार के बीच में ही है अब विद्यार्थी परीक्षा के सिर दर्द से निपटे या खुद को बेतहाशा गर्मी से बचाने का प्रयास करें। छोटे-छोटे विद्यार्थियों और उनके पालकों के लिए आगे कुआं पीछे खाई जैसी कहावत चरितार्थ हो रही है। ना तो निजी विद्यालय प्रबंधन ही विद्यार्थियों को कोई रियायत दे पा रहा है बल्कि वह अपने प्रवेश प्रक्रिया, फ़ीस वसूली, ड्रेस, किताबें, टाई, बेल्ट, खरीदी बिक्री के मोह पास में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और हितों की बलि चढ़ाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं और खुलेआम उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
ये समय ज्यादा बेहतर- पालक
वहीं दूसरी ओर ना तो जिला प्रशासन और ना ही प्रदेश का शिक्षा महकमा ही विद्यार्थियों को कोई राहत दे पा रहा है। पालकों और जागरूक अभिभावकों का कहना है कि, विद्यालयों को सुबह की पाली की बजाए ग्रीष्म अवकाश घोषित करना ही विद्यार्थियों के कोमल मन और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। अन्यथा उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर भारी कुप्रभाव होता दिखाई दे रहा है और इस बात से चिकित्सक भी इंकार नहीं कर रहे हैं। लगातार त्वचा रोग, खुजली, सर्दी खांसी और बुखार के रोगियों की संख्या भी डॉक्टरों के क्लीनिक पर छोटे-छोटे बच्चों के रूप में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
नन्हे-मुन्ने विद्यार्थियों को कुछ तो राहत प्रदान करें
सबसे बड़ी आफत ऐसी भीषण मौसम में परीक्षा देना और परीक्षा के तनाव के साथ मौसम की मार को झेलने से विद्यार्थी आतंकित से दिखाई दे रहे हैं और शिक्षक उनको देखकर भी उन्हें राहत देने में अपने आप को मजबूर पा रहे हैं क्योंकि उन्हें शासकीय आदेश और विभागीय निर्देशों का अक्षरश: पालन करना होता है।जिले के मुखिया कलेक्टर से जागरूक नागरिकों ने अपेक्षा की है वह है परीक्षा देने वाली कक्षाओं के अतिरिक्त अन्य विद्यार्थियों की छुट्टियां घोषित कर दें। और नन्हे-मुन्ने विद्यार्थियों को कुछ तो राहत प्रदान करें।
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