नरङ्क्षसहपुर- मन की निर्मलता गोविन्द श्रीकृष्णा को सुहाती है।परंतु हमे प्रेम करना नहीं आता,लोग साधन भोग पाने मिठाई का डिब्बा लेकर भगवान के यहां पहुचते है और प्रेम अन्य जगह पहुंचता है। कैसे भगवान इच्छा की पूर्ती करेगा क्योंकि भगवान गोविन्द तो प्रेमभाव के भूखे हैं। इस आशया के प्रवचन ग्राम नांदिया बिलहरा के साकेत परिसर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दौरान कथा व्यास विवेककृष्ण शास्त्री ने कहे। इसी अवसर पर वयोवृद्ध श्री श्री 108 बाबा शुकदेव दास जी महाराज राम दिगंबर अखाड़ा श्रीधाम वृंदावन ने अपने प्रवचन मे महिलाओं माताओ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माताओं का स्थान भगवती में है जो बालक कि स्थिति को संभालने वाली है। उन्होने कहा कि श्रीमद भागवत कथा को सिर्फ सुनना ही बल्कि सुनकर चिंतन और मनन करना भी जरूरी है। प्रत्येक व्यक्ति को मातृ देवो भव,पितृ देवो भव और आचार्य,अतिथि देवो भव का सदैव स्मरण रखना चाहिए। इस सप्तदिवस प्रति दिन सुबह से दोपहर एक बजे तक यज्ञ स्थल पर आहूति दी जाती है और दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक कथा सुनाईं जाती है। जो कि इक्कीस फ रवरी तक चलेगी। आयोजन समिति ने ने सभी ग्राम वासियों और भक्त जनों से धर्म लाभ लेने उपस्थिति की अपील की है।