अटल ज्योति पड़ी बंद, बिजली कंपनी ने नहीं डाली केबल
मुख्य मार्ग से लोलरी गांव में प्रवेश करते ही गरीबों की बस्ती मिलती है जहां घरों के बाहर बिजली की बस्र्ट हो चुकी केबल के सहारे लोगों के घरों तक तार नजर आते हैं, जो गांव मेंं अटल ज्योति योजना की हकीकत से रूबरू कराती है। यहां हमने अपनी गाड़ी खड़ी की और हैंडपंप के पास खड़े गांव के युवा सतेंद्र ठाकुर, प्रीतम से गांव के हालात के बारे में पूछा। उन्होंने अपने दायें हाथ की ओर लगी बिजली की डीपी की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये देख रहे हैं आप एक साल से केबल जली हुई पड़ी है कई बार सांसद से कहा बिजली कंपनी वालों से भी शिकायत की पर केबल नहीं बदली लिहाजा खंभे से अपने घरों तक अपने खर्चे से तार डाल कर बल्ब जला रहे हैं। सतेंद्र ने बताया गांव में पीएम आवास का लाभ केवल ५-६ लोगों को ही मिल सका है। बिजली की डीपी सडक़ किनारे काफी खतरनाक हालत में लगी हुई है जिसमें कई जगह खुले तार और फ्यूज लगे हुए हैं जिससे हादसे का डर है।
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३६ लाख का तालाब बना भ्रष्टाचार का नमूना
गांव में थोड़ा अंदर पहुंचे तो तालाब किनारे शिव मंदिर के पास पेड़ की छांव तले गांव के सयाने लोग बैठे मिल गए। यह तालाब भ्रष्टाचार की कहानी सुनाता नजर आया, इसके लिए एनटीपीसी ने २४ लाख रुपया स्वीकृत किए थे। एक साल पहले एक ठेकेदार के माध्यम से इसके घाट निर्माण का काम शुरू हुआ जिससे कुछ गिनती की सीढिय़ां बनाई गईं हैं । इसके अलावा १२ लाख रुपए मनरेगा से स्वीकृत किए गए थे । जिससे काम के नाम पर जेसीबी मशीन लगाकर थोड़ा छिलाई की गई और फिर काम बंद है, तालाब में कुछ स्थानों पर मिट्टी के ढेर नजर आते हैं, कहीं मवेशी चरते नजर आते हैं, कुछ पुराना काम वर्ष २००७ का है। गांव के निवासी और पूर्व सरपंच भगवत सिंह कहते हैं सांसद को गांव है सो काम कम कर रये और खा ज्यादा रये।
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१० साल में शुरू नहीं हो सकी पेयजल योजना,कागजों पर बन रही रोड
शिवराज सरकार के समय जिले में हर ग्राम पंचायत में नल जल सप्लाई योजना स्वीकृत की गई थी पर लोलरी पंचायत में अभी तक पानी की टंकी नहीं बन सकी, पिलर बनाने का काम चल रहा है, दूसरी ओर पाइप लाइन बिछाने के लिए गांव की सडक़ें जरूर खोद दी गई हैं जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव के चौधरी रमेश कुमार कहते हैं पानी के काम में तो पानीदारी ही खत्म हो गई। गांव के श्मसान घाट मार्ग के लिए वर्ष २०१७ में एक लाख ८० हजार रुपए की राशि निकाली गई थी पर रोड आज तक नहीं बन सकी, श्मसान घाट में पेवर ब्लाक लगाने के लिए २ लाख का स्टीमेट तैयार किया गया एक लाख २४ हजार रुपए की राशि निकाल ली गई पर काम एक पैसे का नहीं किया। रमेश कुमार कहते हैं हर काम में कमीशनखोरी हो रही है जिसकी वजह से काम या तो शुरू नहीं हो पाता या फिर पूरा नहीं हो पाता।
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मुख्य मार्ग से लोलरी गांव में प्रवेश करते ही गरीबों की बस्ती मिलती है जहां घरों के बाहर बिजली की बस्र्ट हो चुकी केबल के सहारे लोगों के घरों तक तार नजर आते हैं, जो गांव मेंं अटल ज्योति योजना की हकीकत से रूबरू कराती है। यहां हमने अपनी गाड़ी खड़ी की और हैंडपंप के पास खड़े गांव के युवा सतेंद्र ठाकुर, प्रीतम से गांव के हालात के बारे में पूछा। उन्होंने अपने दायें हाथ की ओर लगी बिजली की डीपी की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये देख रहे हैं आप एक साल से केबल जली हुई पड़ी है कई बार सांसद से कहा बिजली कंपनी वालों से भी शिकायत की पर केबल नहीं बदली लिहाजा खंभे से अपने घरों तक अपने खर्चे से तार डाल कर बल्ब जला रहे हैं। सतेंद्र ने बताया गांव में पीएम आवास का लाभ केवल ५-६ लोगों को ही मिल सका है। बिजली की डीपी सडक़ किनारे काफी खतरनाक हालत में लगी हुई है जिसमें कई जगह खुले तार और फ्यूज लगे हुए हैं जिससे हादसे का डर है।
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३६ लाख का तालाब बना भ्रष्टाचार का नमूना
गांव में थोड़ा अंदर पहुंचे तो तालाब किनारे शिव मंदिर के पास पेड़ की छांव तले गांव के सयाने लोग बैठे मिल गए। यह तालाब भ्रष्टाचार की कहानी सुनाता नजर आया, इसके लिए एनटीपीसी ने २४ लाख रुपया स्वीकृत किए थे। एक साल पहले एक ठेकेदार के माध्यम से इसके घाट निर्माण का काम शुरू हुआ जिससे कुछ गिनती की सीढिय़ां बनाई गईं हैं । इसके अलावा १२ लाख रुपए मनरेगा से स्वीकृत किए गए थे । जिससे काम के नाम पर जेसीबी मशीन लगाकर थोड़ा छिलाई की गई और फिर काम बंद है, तालाब में कुछ स्थानों पर मिट्टी के ढेर नजर आते हैं, कहीं मवेशी चरते नजर आते हैं, कुछ पुराना काम वर्ष २००७ का है। गांव के निवासी और पूर्व सरपंच भगवत सिंह कहते हैं सांसद को गांव है सो काम कम कर रये और खा ज्यादा रये।
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१० साल में शुरू नहीं हो सकी पेयजल योजना,कागजों पर बन रही रोड
शिवराज सरकार के समय जिले में हर ग्राम पंचायत में नल जल सप्लाई योजना स्वीकृत की गई थी पर लोलरी पंचायत में अभी तक पानी की टंकी नहीं बन सकी, पिलर बनाने का काम चल रहा है, दूसरी ओर पाइप लाइन बिछाने के लिए गांव की सडक़ें जरूर खोद दी गई हैं जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव के चौधरी रमेश कुमार कहते हैं पानी के काम में तो पानीदारी ही खत्म हो गई। गांव के श्मसान घाट मार्ग के लिए वर्ष २०१७ में एक लाख ८० हजार रुपए की राशि निकाली गई थी पर रोड आज तक नहीं बन सकी, श्मसान घाट में पेवर ब्लाक लगाने के लिए २ लाख का स्टीमेट तैयार किया गया एक लाख २४ हजार रुपए की राशि निकाल ली गई पर काम एक पैसे का नहीं किया। रमेश कुमार कहते हैं हर काम में कमीशनखोरी हो रही है जिसकी वजह से काम या तो शुरू नहीं हो पाता या फिर पूरा नहीं हो पाता।
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