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धन्य हैं ये शासकीय कर्मी कहीं 12 किमी की खड़ी चढ़ाई कहीं 180 किमी का सफर कर कराते हैं मतदान

locationनरसिंहपुरPublished: Apr 18, 2019 09:19:24 pm

Submitted by:

ajay khare

सरकारें भले ही सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन देने को तैयार नहीं पर विधान सभा और लोकसभा चुनाव में माननीयों को सदन की दहलीज तक पहुंचाने वाले यहां के उन शासकीय कर्मियों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता

 सरकारें भले ही सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन देने को तैयार नहीं पर विधान सभा और लोकसभा चुनाव में माननीयों को सदन की दहलीज तक पहुंचाने वाले यहां के उन शासकीय कर्मियों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता

सरकारें भले ही सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन देने को तैयार नहीं पर विधान सभा और लोकसभा चुनाव में माननीयों को सदन की दहलीज तक पहुंचाने वाले यहां के उन शासकीय कर्मियों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता

अजय खरे। नरसिंहपुर। सरकारें भले ही सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन देने को तैयार नहीं पर विधान सभा और लोकसभा चुनाव में माननीयों को सदन की दहलीज तक पहुंचाने वाले यहां के उन शासकीय कर्मियों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता जो लोकतंत्र के महायज्ञ को सफल बनाने के लिए १२ किमी की खड़ी और दुर्गम चढ़ाई चढ़ कर मतदान कराते हैं। हम बात कर रहे हैं ऐसे मतदान केंद्र की जहां तक पहुंचने के लिए मतदान दल को केंद्र तक पैदल पहुंचने में ४ से ६ घंटे लग जाते हैं।
जिले का बड़ागांव मतदान केंद्र सबसे दुर्गम और जटिल मार्ग वाला केंद्र है। गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत मोहपानी ग्राम पंचायत के बड़ागांव केंद्र तक पहुंचने के लिए न कोई अच्छा रास्ता है और न कोई साधन है। ऊंचे पर्वत पर बसे इस गांव तक जाने के लिए मिट्टी और चट्टानों वाला केवल प्राकृतिक मार्ग है जिस पर हर कदम संभाल कर रखना पड़ता है, कुछ जगहों पर मार्ग ऐसा है कि जरा सी चूक होने पर जीवन का संकट पैदा हो जाता है। १२ किमी तक कई जगहों पर एकदम खड़ी चढ़ाई वाला सफर तय करने में शरीर जवाब दे जाता है और सूर्योदय के समय यहां की राह दिखाने वाला सूरज गांव तक पहुंचते पहुंचते सिर पर तमतमाने लगता है। पग पग पर पर्वत के राही के धैर्य और साहस की परीक्षा लेने वाले एक ओर पहाड़ और दूसरी ओर गहरी खाई वाले इस सफर को तय करने में आधा दिन बीत जाता है। पर इन्हीें हालातों में मतदान दल अपने सामान के साथ इस गांव में डेरा डाल कर चुनाव कराता है। यहां पहुंचने के लिए मतदान दल मोहपानी गांव में अपने वाहन छोड़ देते हैं और फिर बड़ागांव का सफर तय करते हैं। मतदान दल को यहां एक दिन पहले ही पहुंचना पड़ता है।
खच्चरों से ढोते हैं सामान
इस मतदान केंद्र में ७ गांवों के लोग मतदान करने आते हैं जिनमें तलैया, भातौर, पटकना, कुकड़ीपानी, टोला आदि शामिल हैं। यहां करीब १२०० मतदाता हैं। मतदान सामग्री पहुंचाने के लिए प्रशासन को खच्चरों की व्यवस्था करनी पड़ती है। जिनके सहारे ईवीएम सहित मतदान दल की भोजन सामग्री आदि मतदान केंद्र तक भेजी जाती है। प्रशासन को इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि इस केंद्र पर केवल शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ कर्मियों की ही ड्यूटी लगाई जाए ताकि कोई समस्या न आए। दल के साथ डॉक्टर और उसकी टीम आवश्यक दवाओं के साथ यहां भेजी जाती है।
भिल्माढाना केंद्र में मतदान कराने १८० किमी का सफर
भिल्माढाना मतदान केंद्र इस जिले का सबसे दूरस्थ मतदान केंद्र है। भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से यहां तक पहुंचने के लिए मतदान दल को १८० किमी का सफर तय करना पड़ता है। यह सतपुड़ा वन क्षेत्र के अंतर्गत घने जंगल के बीच बसा हुआ एक गांव है। इस केंद्र में विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक ९९.७७ प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। यहां करीब ४५० मतदाता हैं। पटकुही पंचायत की टुइयापानी बूथ पर पहुंचने के लिए नदी किनारे का करीब एक किमी का रास्ता तय करना पड़ता है। विधानसभा तेंदूखेड़ा की खुड़ई पंचायत के भौमरी केंद्र तक पहुंचने के लिए भी पथरीला मार्ग तय करना पड़ता है।
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वर्जन
बड़ागांव मतदान केंद्र जिले का सबसे दुर्गम और जटिल मार्ग वाला केंद्र है। मतदान दल को पहाड़ का १२ किमी का सफर तय करना पड़ता है। हमारे मतदान दल बड़ी मेहनत के बाद यहां मतदान कराते हैं।
आरपी अहिरवार, सीईओ जिला पंचायत
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