नरसिंहपुर। एसपी की फर्जी सील लगाकर कोर्ट में आवेदन पेश करने के आरोपी तहसीलदार पीयूष दुबे के मामले में कोतवाली पुलिस ने मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट ने पुलिस द्वारा पेश किए गए आरोप पत्र को स्वीकार कर लिया जबकि आरोपी दुबे कोर्ट में पेश नहीं हुए। पुलिस ने इस बारे में कलेक्टर नरसिंहपुर और कलेक्टर सिवनी को सूचना पत्र भेज दिए हैं।
यह है मामला
नरसिंहपुर में तहसीलदार रहे पीयूष दुबे के खिलाफ कोतवाली में वर्ष 2015 में चावरपाठा निवासी त्रिभुवन पालीवाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी । दुबे के विरुद्ध अपराध क्रमांक 391/2015 धारा 420, 467, 468, 471 आईपीसी के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था । न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 29 अगस्त को दिए फैसले में दुबे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए पुलिस पर टिप्पणी की थी । कोर्ट ने कहा था कि 2015 में रिपोर्ट दर्ज हुई और पुलिस अभी तक सोती रही जिससे आरोपी को बार बार अग्रिम जमानत याचिका लगाने का मौका मिलता रहा। दरअसल यह मामला हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करने के लिए दुबे द्वारा एससी नरसिंहपुर की फर्जी सील का उपयोग करने का था दुबे ने कोर्ट को यह बताया कि उन्होंने एसपी को आवेदन दिया था जिस पर कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है । पुलिस की जांच में यह पाया गया कि दुबे ने एसपी को कोई आवेदन नहीं दिया था और एसपी कार्यालय की फर्जी सील बनवाकर उसका उपयोग किया था अग्रिम जमानत की पीयूष दुबे की पहली याचिका हाईकोर्ट ने 22 जून को और दूसरी 27 जनवरी 2016 को पहले ही खारिज कर दी थी 29 अगस्त २०१८ को हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की तीसरी याचिका भी खारिज कर दी। कोर्ट ने तीसरी बार अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए नरसिंहपुर एससी को आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति भिजवाई थी।
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वर्जन
आरोपी तहसीलदार पीयूष दुबे के खिलाफ कोतवाली थाना में २००५ में दर्ज किए गए प्रकरण में आईपीसी की धारा ४२०,४६५,४७१,२०१ के तहत मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया गया। कोर्ट ने आरोप पत्र स्वीकार कर लिया है जिसका केस नंबर १७५९ है।
अमित दांणी, टीआई, कोतवाली थाना
यह है मामला
नरसिंहपुर में तहसीलदार रहे पीयूष दुबे के खिलाफ कोतवाली में वर्ष 2015 में चावरपाठा निवासी त्रिभुवन पालीवाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी । दुबे के विरुद्ध अपराध क्रमांक 391/2015 धारा 420, 467, 468, 471 आईपीसी के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था । न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 29 अगस्त को दिए फैसले में दुबे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए पुलिस पर टिप्पणी की थी । कोर्ट ने कहा था कि 2015 में रिपोर्ट दर्ज हुई और पुलिस अभी तक सोती रही जिससे आरोपी को बार बार अग्रिम जमानत याचिका लगाने का मौका मिलता रहा। दरअसल यह मामला हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करने के लिए दुबे द्वारा एससी नरसिंहपुर की फर्जी सील का उपयोग करने का था दुबे ने कोर्ट को यह बताया कि उन्होंने एसपी को आवेदन दिया था जिस पर कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है । पुलिस की जांच में यह पाया गया कि दुबे ने एसपी को कोई आवेदन नहीं दिया था और एसपी कार्यालय की फर्जी सील बनवाकर उसका उपयोग किया था अग्रिम जमानत की पीयूष दुबे की पहली याचिका हाईकोर्ट ने 22 जून को और दूसरी 27 जनवरी 2016 को पहले ही खारिज कर दी थी 29 अगस्त २०१८ को हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की तीसरी याचिका भी खारिज कर दी। कोर्ट ने तीसरी बार अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए नरसिंहपुर एससी को आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति भिजवाई थी।
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वर्जन
आरोपी तहसीलदार पीयूष दुबे के खिलाफ कोतवाली थाना में २००५ में दर्ज किए गए प्रकरण में आईपीसी की धारा ४२०,४६५,४७१,२०१ के तहत मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया गया। कोर्ट ने आरोप पत्र स्वीकार कर लिया है जिसका केस नंबर १७५९ है।
अमित दांणी, टीआई, कोतवाली थाना