दोषियों पर कार्रवाई को लेकर कलेक्टर से मिलेंगे ग्रामीण
इस विषय को लेकर ढिलवार के सजग आदिवासी ग्रामीण शीघ्र ही एकत्रित होकर कलेक्टर को इस तालाब की जमीनी हकीकत बताते हुए दोषियों पर दंडात्मक कार्यवाही के साथ राशि वसूलने की मांग करेंगे।
करीबियों को दिलाया था पेटी ठेका
मुख्यमंत्री सरोवर योजना के अंतर्गत 1.6 करोड़ की लागत से बनने वाले इस तालाब का निर्माण कार्य काफी पहले हो जाना था। लेकिन आदिवासियों के क्षेत्र में राशि हड़पकर बंदरबांट करने की साजिश रची गई। इस तालाब के निर्माण का ठेका महाराष्ट्र की एक कंपनी को दिया गया था। लेकिन कार्यपालन यंत्री के हस्तक्षेप से पेटी पर यह ठेका दे दिया गया। पेटी ठेकेदार ने एनएच 12 की खुदाई से निकली मिट्टी को तीन तरफ डालकर तालाब की खुदाई दिखा दी थी। जनप्रतिनिधियों के माध्यम से यह विषय जिला योजना समिति की बैठक में भी उठाया गया लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले को दबा दिया।
68 लाख रुपए का कर दिया गया भुगतान
गुणवत्ता को ताक पर रखकर बनाये गये इस तालाब का 68 लाख रुपये का भुगतान भी तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के माध्यम से संबंधित ठेकेदार को कर दिया गया। इस तालाब की न तो खुदाई की गई और न ही पनी डाली गई। मशीनों के माध्यम से रातों-रात फोरलेन सडक़ निर्माण की मिट्टी को डम्फरों के माध्यम से तीन तरफ से इस तालाब को बांध दिया गया था। तालाब की वर्तमान में यह स्थिति है कि इसमें बूंद भर भी पानी शेष नहीं है।
इनका कहना है
ढिलवार का तालाब फूटा नहीं था बल्कि हमने ही उसे चेक करने के लिए फुड़वाया था। कलेक्टर ने जांच के आदेश दिये थे लेकिन मामला फूटने का नहीं था।
आकाश सूत्रकार, एसडीओ आरईएस
जब तालाब फूटा था तब उसका कुछ काम बकाया था, इस मामले की जांच की गई थी जिसमें तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एमएल सूत्रकार और ठेकेदार दोनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया था।
कमलेश भार्गव, सीईओ जिला पंचायत