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उपभोक्ता अधिकार दिवस पर भी नहीं हुआ उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण

locationनरसिंहपुरPublished: Mar 15, 2019 06:35:46 pm

Submitted by:

ajay khare

बिकी डिब्बे के साथ मिठाई, तुली पत्थर के बांट से सब्जियां

Consumer Rights Day

Consumer Rights Day

गाडरवारा। प्रतिवर्ष की तरह 15 मार्च को उपभोक्ता अधिकारों को लेकर उपभोक्ता अधिकार दिवस था। लेकिन प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी यह दिवस केवल कागजों में ही सीमित रहा। क्योंकि जमीनी स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण को लेकर कोई कार्यक्रम, उपाय या कार्रवाई होती नजर नहीं आती। जबकि पत्रिका ने गाडरवारा नगर में ही उक्त दिवस पर जगह जगह उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन होते देखा।
इस तरह लुटते हैं उपभोक्ता
आसपास के गांव से लेकर नगर में आज भी टोकरी में सब्जी बचने वाले सब्जी विक्रेता एवं गली मुहल्लों के दुकानदार, कबाड़ का सामान खरीदने वाले मानक बांटों के बजाय पत्थर से सामान तौलते दिख जाएंगे। इतना ही नहीं डिजीटल तराजू के जमाने में पुराने दौर की तराजू एवं अमानक बांट भी प्रयोग होते देखे जा सकते हैं। लगभग सभी मिष्ठान्न दुकान पर ग्राहकों को डिब्बे के साथ मिठाई तौल कर बेची जाती है। इसके अलावा दुकानों पर तरह तरह की खुली चीजों में मिलावट कर बेचा जाना आम है। लोग बताते हैं सूखी लाल मिर्च एवं सूखे धनिया में पानी छिड़क कर वजन बढ़ाना हो, या मावा, घी एवं दूध में मिलावट तरह तरह से उपभोक्ता को ठगा जाता है। बाजार में प्रसिद्ध ब्रांड से मिलती जुलती नाम वाली वस्तुएं उपलब्ध हो सकती हैं, वहीं अनेक दुकानदार एक्सपायरी डेट निकलने के बाद भी ग्राहक को उक्त वस्तुएं थमा देते हैं। इतना ही नहीं तेल, शक्कर, चावल एवं अन्य उपभोक्ता वस्तुएं के दाम बाजार के उतार चढ़ाव के आधार पर तय होते हैं। जिनकी कीमत आए दिन बदलती रहती एवं प्रत्येक दुकान पर अलग.अलग होती है। ऐसे ही सूखे मेवे काजू, बादाम आदि मनमाने दामों पर ग्राहकों को बेचे जाते हैं। वहीं एक ही मिठाई के दाम अलग दुकानों पर अलग हो जाते हैं। मेडिकल क्षेत्र के बारे में अनेक नागरिकों ने बताया कि इस फ ील्ड में मरीज के साथ सबसे अधिक लूट.खसोट होती है। अनेक प्रकार की जांचें अलग जगह से अलग कीमत पर होती हैं। इसी प्रकार अनेक चिकित्सक महंगी से महंगी दवाएं मरीज को लिखते हैं। जो उनके द्वारा निर्धारित मेडिकल स्टोर पर ही उपलब्ध होती हैं। आए दिन पेट्रोल पंपों पर कम पेट्रोल मिलने के आरोप लोग लगाते रहते हैं। ऐसे ही शिक्षण संस्थानों से लेकर अनेक क्षेत्रों में सेवाओं में कमी या मनमानी के आरोप लगते हैं। यह भी एक प्रकार से उपभोक्ताओं के हितों का हनन है। ऐसे में जागो ग्राहक जागो का नारा एवं उपभोक्ता संरक्षण की बात केवल औपचारिक नजर आती है।

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