आंदोलनकारी कर्मचारियों का कहना रहा कि एकतरफ जिले में कर्मचारी जल सत्याग्रह करे रहे हैं तो वहीं प्रदेश संगठन का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सहकारिता आयुक्त से भोपाल में मुलाकात करेगा। जिला पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष बीएस चौहान के साथ दो सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को आयुक्त ने चर्चा के लिए बुलाया है। यहां पर वे उनकी मांगों पर विचार करेंगे।
सहकारिता कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष राजकुमार कौरव ने बताया कि प्रदेश संगठन के बैनर तले 1 फरवरी से मुख्यमंत्री समेत सहकारिता आयुक्त, कलेक्टर को ज्ञापन देने से आंदोलन की शुरुआत हुई थी। 4 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत सभी राशन दुकानें बंद कर दी गईं हैं। सहकारी समितियों के प्रबंधक, विक्रेता आदि सभी जिला मुख्यालय के लोक सेवा केंद्र परिसर के पास धरना दे रहे हैं। कौरव ने रोष जताते हुए कहा कि करोड़ों की वसूली कर सहकारिता को जीवित रखने वाले कर्मचारियों के प्रति प्रदेश सरकार का रवैया हैरान करने वाला है। अब तक सरकार ने उनकी मांगों पर विचार तक नहीं किया है। इसी कारण 9 फरवरी को तय कार्यक्रम के अनुसार जिले के सभी सहकारी कर्मचारी बरमान स्थित नर्मदा तट पर जाकर जल सत्याग्रह को बाध्य हुए। साथ ही प्रदेश सरकार की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की गई।
सहकारिता कर्मचारी संघ के जिला उपाध्यक्ष आशीष नेमा, प्रांतीय प्रवक्ता मो. शफी खान और जिला सचिव शशि महाराज ने बताया कि बरमान में जल सत्याग्रह के पूर्व आधा घंटे तक सभी आंदोलनकारी तटों की सफाई की। मेले के कारण यहां हुई गंदगी को साफ किया जाएगा। घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं को नर्मदा में गंदगी न फैलाने का आह्वान किया गया।
अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे सहकारी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों के तहत सरकारी सेवकों की तरह वेतन-भत्ते व सुविधाएं मुहैया कराना है। साथ ही उनका कहना है कि कोरोनाकाल के दौरान पीओएस मशीन में अंगूठा लगाए बिना उपभोक्ताओं को राशन बांटा गया था लेकिन मशीन से स्टाक खत्म नहीं किया गया। जिसके चलते उनसे राशन की कटौती फरवरी माह में की जा रही है। कई कर्मचारियों को दोषी मानकर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। उनकी मांग है कि शासन पीओएस मशीन के स्टाक को निल कर जिन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उसे वापस ले। कटौती का राशन समितियों को मुहैया कराया जाए।
सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल और समितियों में तालाबंदी के चलते जिला सहकारी बैंक की वसूली पर विपरीत असर पड़ा है। जिले में रोजाना करीब 4 करोड़ रुपये की ऋ ण वसूली औसतन होती थी लेकिन पिछले पांच दिन में ये आंकड़ा शून्य पर पहुंच गया है। बैंक को करीब 20 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। जैसे-जैसे हड़ताल लंबी खिंचेगी घाटे का ग्राफ भी तेजी से बढ़ेगा, इसे लेकर केंद्रीय बैंक के अधिकारी भी अब चिंतित नजर आने लगे हैं।
शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर तालाबंदी का सबसे बुरा असर गरीब लाभार्थियों पर दिखने लगा है। सभी 405 उचित मूल्य की दुकानों में ताला लगा है। सस्ता राशन न मिलने के कारण लाभार्थियों को महंगे दाम देकर निजी दुकानों से जरूरत का सामान खरीदना पड़ रहा है। भयावह होती इस समस्या के निदान के लिए जिला प्रशासन के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। न ही इस संबंध में किसी तरह की तैयारी ही नजर आ रही है, जिससे लगे कि लाभार्थियों को राशन मिलना सुनिश्चित हो सके।