वैसे जिला अस्पताल में उपसंचालक और कंसलटेंट निरीक्षण के लिए पहुंचते ही कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। उपसंचालक और कंसलटेंट ने गहन शिशु चिकित्सा इकाई और पीआइयू यूनिट का निरीक्षण करते हुए दोनों यूनिट की व्यवस्थाओं के लिए उपलब्ध कराए गए बजट से हुए कार्यो को देखा। यूनिट में लगी मशीनों का निरीक्षण किया। इस दौरान विभाग के इंजीनियर को निर्देश दिए कि पीआइयू यूनिट का फर्नीचर बेहतर हो। साथ ही यूनिट में कई जरुरी व्यवस्थाओं की पूर्ति समय पर कराई जाए। अधिकारियों ने सफाई व्यवस्था पर विशेष जोर दिया और कहा कि यूनिट में सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि संक्रमण की आशंका न रहे। अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान देखा कि शिशु वार्ड दोनों यूनिट से अलग है और पोषण पुर्नवास केंद्र, यूनिट के नजदीक है तो निर्देश दिए कि तत्काल शिशु वार्ड को यूनिट के पास रखा जाए और पोषण पुर्नवास केंद्र को व्यवस्थित तरीके से शिशु वार्ड के स्थान पर शिफ्ट किया जाए।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के ये आला अधिकारी भोपाल से आए थे। उन्होंने तकरीबन ढाई घंटे तक यूनिट का बारीकी से जायजा लिया। इन विशेषज्ञ आला अधिकारियों में उपसंचालक डॉ. मनीष कुमार एवं कंसलटेंट डॉ. विशाल सिंह थे। इन अधिकारियों ने सिविल सर्जन डॉ. अनिता अग्रवाल को निर्देश दिया कि कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए फेस स्कैन अटेंडेंस मशीन लगवाई जाए ताकि पता लग सके कि थंब मशीन में जो कर्मचारी अंगूठा लगा रहा है वह वास्तविक रूप में वही कर्मचारी है। बता दें कि कोरोनाकाल के दौरान यहां थंब मशीन से उपस्थिति बंद करा दी गई थी।
दोनों यूनिट का निरीक्षण करने के बाद अधिकारी देर तक जिला अस्पताल प्रबंधन से व्यवस्थाओं की जानकारी लेते रहे। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. अनिता अग्रवाल सहित डॉ. विजयंत जैन, डॉ. सागरिया सहित अन्य कर्मचारियों की उपस्थित रहे।